मेरा नाम सोनिया है, मैं 24 साल की हूँ। मेरी शादी गाँव के एक बड़े घराने में हुई थी। मेरे पति, राहुल, शादी की रात को शराब पीकर सो गए। मेरी चूत में आग लगी थी, और सुहागरात का मज़ा अधूरा रह गया। मैं बिस्तर पर सजी-धजी लेटी थी कि दरवाज़ा खुला। मेरे ससुर, रामलाल, 50 के थे लेकिन मज़बूत और हट्टे-कट्टे। उनके साथ मेरा ननदोई, विजय, 30 का जवान लड़का, अंदर आया। “बेटी, राहुल तो सो गया, अब हम तेरी चूत की प्यास बुझाएँगे,” ससुर ने गरम लहजे में कहा। “हाँ, भाभी, तेरी गांड को भी चोदेंगे,” विजय ने हँसते हुए जोड़ा।
मैं चौंक गई, लेकिन मेरी चूत गीली हो चुकी थी। “ये क्या बोल रहे हो?” मैंने कहा, पर मेरी साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया। ससुर ने मुझे बिस्तर पर धकेला और मेरी साड़ी फाड़ दी। मेरी चोली खुल गई, और मेरे चूचे नंगे हो गए। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” ससुर ने कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, ससुर जी, चूसो, मेरी चूत में आग लग रही है!” मैं सिसक उठी। विजय ने मेरी सलवार खींची और मेरी चूत पर हाथ फेरा। “तेरी चूत तो रस से तर है, इसे चोदने का मज़ा आएगा,” उसने कहा।
ससुर ने मुझे कुतिया की तरह झुका दिया। मेरी गांड हवा में तन गई। “अब तेरी चूत और गांड दोनों चोदूँगा,” उन्होंने कहा और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने लंड से चीर डालो!” मैं चिल्लाई। ससुर ने अपनी धोती उतारी, और उनका मोटा लंड बाहर निकला। उन्होंने लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से चोदो!” मेरी चीखें कमरे में गूँज उठीं। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “तेरी चूत तो लंड को चूस रही है,” ससुर ने कहा और मुझे पेलने लगे।
विजय मेरे सामने आया और अपनी पैंट उतार दी। उसका लंड भी सख्त और गरम था। “भाभी, अब तू मेरा लंड चूस,” उसने कहा और लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लंड को चाटने लगी। “आह्ह, विजय, तेरा लंड तो मज़ेदार है, इसे पूरा मुँह में लूँगी,” मैंने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। विजय ने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। “चूस ले मेरे लंड को, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” उसने चीखा। ससुर पीछे से मेरी चूत चोद रहे थे, और विजय मेरे मुँह को पेल रहा था। मेरी चूत से रस टपक रहा था।
ससुर ने मुझे पलटा और मेरे ऊपर चढ़ गए। “अब तेरी चूत को और गहरा चोदूँगा,” उन्होंने कहा और लंड मेरी चूत में ठोक दिया। “आह्ह, ससुर जी, मेरी चूत चीर डालो, और तेज़!” मैं चिल्लाई। उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “तेरी चूत तो रस की नदी है, इसे चोद-चोद कर सूखा दूँगा,” ससुर ने कहा और मेरे चूचों को मसलते हुए धक्के मारे। मैंने अपने नाखून उनकी पीठ में गड़ा दिए, “चोदो मुझे, मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दो!” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। विजय पास खड़ा अपना लंड सहला रहा था।
विजय ने ससुर को हटाया और मुझे दीवार से सटा दिया। “अब मेरी बारी है, भाभी,” उसने कहा और मेरी टाँगें हवा में उठा दीं। उसने अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ा। “डाल दे, विजय, मेरी गांड को चोद-चोद कर ढीली कर दे!” मैं चिल्लाई। विजय ने अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। मेरी चूत से रस बह रहा था, और गांड विजय के लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, इसे रगड़ डालूँगा!” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।
ससुर फिर से मेरे पास आए और मेरे होंठ चूसने लगे। “तेरे होंठ तो आग हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उन्होंने कहा और मेरे होंठों को दाँतों से दबाया। मैंने ससुर का लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काटो, इसे चोद-चोद कर फाड़ दो!” ससुर ने मुझे फिर से कुतिया बनाया और मेरी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उन्होंने चीखते हुए कहा। मेरी गांड थप-थप की आवाज़ कर रही थी, और मेरी चूत उनके लंड को निचोड़ रही थी। “चोदो मुझे, ससुर जी, मेरी चूत की आग बुझा दो!” मैं चिल्लाई।
विजय ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। “भाभी, अब तेरी चूत को मैं चोदूँगा,” उसने कहा और तेज़ी से धक्के मारने लगा। “आह्ह, विजय, मेरी चूत फाड़ दो, और गहरा!” मैं चिल्लाई। उसकी चुदाई से मेरा पूरा बदन काँप रहा था। ससुर मेरे चूचों को चूस रहे थे। “तेरे चूचे तो माल हैं, इन्हें चूस-चूस कर दूध निकाल दूँगा,” उन्होंने कहा। विजय ने मेरी गांड में उंगली डाली और चोदते हुए बोला, “तेरी चूत और गांड दोनों मेरे लंड की दीवानी हैं।” मैं सिसक रही थी, “हाँ, चोदो मुझे, मेरी पहली रात को यादगार बना दो!”
चुदाई का नशा चरम पर था। ससुर ने मुझे उठाया और अपनी गोद में बिठाया। “अब मेरे लंड की सवारी कर,” उन्होंने कहा और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैं उछलने लगी। “आह्ह, ससुर जी, आपका लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मेरे चूचे हवा में नाच रहे थे। विजय पीछे से मेरी गांड में लंड रगड़ रहा था। “अब तेरी गांड फिर चोदूँगा,” उसने कहा और लंड मेरी गांड में ठोक दिया। “आह्ह, मेरी गांड और चूत दोनों फट गईं, और जोर से!” मैं चिल्लाई। दोनों एक साथ मुझे चोद रहे थे, और मेरी चीखें कमरे में गूँज रही थीं।
आख़िर में दोनों के लंड फट पड़े। ससुर का गरम रस मेरी चूत में भर गया, और विजय का रस मेरी गांड में। बाक़ी उनके लंड का रस मेरे चूचों और होंठों पर छिड़क गया। “आह्ह, ससुर जी, आपका रस मेरे होंठों पर लगा दो,” मैंने कहा और उनके लंड से टपकते रस को चाट लिया। “विजय, तेरा भी चखूँगी,” मैंने विजय के लंड को चूसा। हम तीनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। “सोनिया, तू तो रंडी है,” ससुर ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और आपके मोटे लंड की दीवानी,” मैंने जवाब दिया। विजय ने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा, “तेरी चूत और गांड हमारी गुलाम हैं।”
सुबह तक मेरी पहली रात की चुदाई की गर्मी कमरे में बसी रही। पति अभी भी सो रहा था, उसे कुछ पता नहीं था। “ससुर जी और विजय, अगली बार फिर चोदना,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदेंगे,” दोनों ने वादा किया। मेरी चूत फिर से ललकार रही थी, और उनकी आँखों में वही आग थी। मेरी पहली रात ससुर और ननदोई ने यादगार बना दी थी। कमरे की दीवारें हमारी चुदाई की गवाह बन गई थीं।