इस गरम और सेक्सी कहानी में सौतेले बाप विजय ने माँ रेखा और बेटी प्रिया के साथ सुहागरात का मज़ा लिया। घर में अकेलेपन का फायदा उठाकर विजय के मोटे लंड ने माँ की चूत को चोदा, प्रिया की गांड को रगड़ा, और दोनों को रस से तर कर दिया। बिस्तर से लेकर बाथरूम तक की चुदाई का ये सिलसिला आपको तड़पाने के लिए तैयार है। माँ और बेटी की चीखें, सौतेले बाप की शरारत और सुहागरात का हॉट रोमांच इस कहानी में बखूबी समाया है। शुरू करें ये चुदाई का सफर, जो आपके जिस्म में आग भर देगा!
मेरा नाम प्रिया है, मैं 22 साल की हूँ। मेरी माँ, रेखा, 40 साल की हैं—गोरी, भरे हुए चूचे और मोटी गांड वाली। मेरे असली पापा की मौत हो चुकी थी, और माँ ने दो साल पहले दूसरी शादी की थी। मेरा सौतेला बाप, विजय, 45 साल का था—लंबा, मज़बूत और उसकी पैंट में हमेशा उभरता मोटा लंड। विजय की नज़रें माँ के साथ-साथ मुझ पर भी रहती थीं। मैं टाइट सलवार-कुर्ती पहनती थी, जिसमें मेरे चूचे और गांड साफ़ दिखें। एक रात माँ और विजय की बातें सुनकर मेरी चूत गीली हो गई। उनकी चुदाई की आवाज़ें मेरे जिस्म में आग लगा रही थीं।
रात का वक़्त था। मैं अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रही थी। तभी माँ और विजय के कमरे से सिसकियाँ सुनाई दीं। “विजय, मेरी चूत को चोदो!” माँ चिल्ला रही थीं। मैं चुपके से उनके कमरे की खिड़की तक गई। अंदर का नज़ारा देखकर मेरी साँसें थम गईं। विजय ने माँ को नंगा कर रखा था। उनका मोटा लंड माँ की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। माँ की गांड हवा में थी, और विजय उसे थप्पड़ मार रहे थे। “रेखा, तेरी गांड भी चोदूँगा,” विजय ने कहा और माँ की गांड में लंड पेल दिया। माँ की चीखें सुनकर मेरी चूत ललचा उठी।
मैंने अपनी सलवार में हाथ डाला और चूत रगड़ने लगी। विजय की नज़र मुझ पर पड़ गई। “प्रिया, बाहर क्या कर रही है? अंदर आ जा,” उन्होंने गरम लहजे में कहा। मेरे पैर काँप रहे थे। “विजय जी, ये ठीक नहीं,” मैंने डरते हुए कहा। माँ ने हँसते हुए मुझे बुलाया, “आ जा, प्रिया, विजय का लंड दोनों को चोदेगा।” मैं अंदर गई। विजय ने मुझे पकड़ा और मेरी कुर्ती फाड़ दी। मेरे चूचे नंगे हो गए। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, प्रिया,” विजय ने कहा और मेरे निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, विजय जी, चूसो!” मैं सिसक उठी।
माँ मेरे पास आईं और मेरी सलवार उतार दीं। “प्रिया, तेरी चूत को भी चखाऊँगा,” विजय ने कहा और मेरी चूत पर जीभ फेर दी। “आह्ह, चाटो मेरी चूत, विजय जी!” मैं चिल्लाई। माँ मेरे चूचों को मसल रही थीं। “रेखा, अपनी बेटी की गांड तैयार कर,” विजय ने कहा। माँ ने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “प्रिया, तेरी गांड को विजय का लंड चोदेगा,” माँ बोलीं। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। विजय ने माँ के होंठ चूसे और कहा, “रेखा, तेरी चूत भी आज नहीं छोड़ूँगा।” माँ सिसक उठीं।
विजय ने मुझे बिस्तर पर लिटाया। माँ मेरे पास लेट गईं। “प्रिया, आज सुहागरात का मज़ा ले,” माँ ने कहा। विजय ने अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ा। “पहले तेरी चूत चोदूँगा,” उन्होंने कहा और एक धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई!” मैं चीखी। “धीरे सहन कर, मज़ा आएगा,” माँ ने कहा और मेरे होंठ चूसने लगीं। विजय ने तेज़ी से धक्के मारे। “तेरी चूत तो टाइट है, प्रिया,” विजय बोले। माँ की चूत उनके सामने थी। “रेखा, अब तेरी बारी,” विजय ने कहा और माँ की चूत में लंड ठोक दिया। “आह्ह, विजय, चोदो!” माँ चिल्लाईं।
विजय ने मुझे कुतिया बनाया। “अब तेरी गांड में लंड घुसाऊँगा,” उन्होंने कहा और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, विजय जी, मेरी गांड लाल कर दो!” मैं चिल्लाई। उन्होंने लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। माँ मेरे नीचे लेट गईं और मेरी चूत चाटने लगीं। “प्रिया, तेरी चूत का रस पीऊँगी,” माँ बोलीं। विजय ने माँ की गांड में उंगली डाली। “रेखा, तेरी गांड भी चोदूँगा,” उन्होंने कहा और माँ की गांड में लंड ठोका। “आह्ह, विजय, मेरी गांड फाड़ दो!” माँ चिल्लाईं।
चुदाई का नशा बढ़ गया। विजय ने हमें बिस्तर पर आमने-सामने लिटाया। “दोनों की चूत एक साथ चोदूँगा,” उन्होंने कहा। पहले मेरी चूत में लंड डाला। “आह्ह, विजय जी, मेरी चूत को फाड़ दो!” मैं चिल्लाई। फिर माँ की चूत में ठोका। “रेखा, तेरी चूत भी रस से भरी है,” विजय बोले। माँ मेरे चूचों को चूस रही थीं। “प्रिया, तेरे चूचे मज़ेदार हैं,” माँ ने कहा। विजय ने मेरी गांड में फिर लंड घुसाया। “तेरी गांड तो चूत से भी मस्त है,” उन्होंने कहा। माँ ने विजय का लंड पकड़ा और सहलाया। “विजय, इसे मेरी चूत में डालो,” माँ बोलीं।
विजय ने हमें बाथरूम में ले जाया। “यहाँ सुहागरात और मज़ेदार होगी,” उन्होंने कहा। शावर के नीचे हम तीनों नंगे थे। विजय ने माँ को दीवार से सटाया और उनकी चूत में लंड ठोका। “आह्ह, विजय, चोदो!” माँ चिल्लाईं। फिर मेरी बारी आई। “प्रिया, तेरी चूत को पानी में चोदूँगा,” विजय ने कहा और मुझे उठाकर लंड मेरी चूत में घुसाया। “आह्ह, और जोर से!” मैं चीखी। माँ मेरी गांड पर थप्पड़ मार रही थीं। “रेखा, अपनी बेटी की गांड चाट,” विजय बोले। माँ ने मेरी गांड चाटी। “प्रिया, तेरी गांड का स्वाद गज़ब है,” माँ ने कहा। पानी हमारे जिस्म पर बह रहा था।
रात गहराने लगी। विजय ने हमें बिस्तर पर लौटाया। “अब दोनों के होंठ चूसूँगा,” उन्होंने कहा और मेरे होंठ चूसने लगे। “तेरे होंठ तो शहद हैं, प्रिया,” विजय बोले। फिर माँ के होंठ चूसे। “रेखा, तेरे होंठ भी मस्त हैं,” उन्होंने कहा। विजय ने मेरा हाथ अपने लंड पर रखा। “चूसो इसे, प्रिया,” उन्होंने कहा। मैंने लंड मुँह में लिया। “आह्ह, विजय जी, आपका लंड मज़ेदार है!” मैंने कहा। माँ ने भी लंड चूसा। “विजय, इसका रस हमें दो,” माँ बोलीं। विजय ने मेरी चूत में लंड ठोका। “प्रिया, तेरी चूत को फिर चोदूँगा,” उन्होंने कहा।
विजय ने माँ को कुतिया बनाया। “रेखा, तेरी गांड फिर चोदूँगा,” उन्होंने कहा और माँ की गांड में लंड पेल दिया। “आह्ह, विजय, मेरी गांड फाड़ दो!” माँ चिल्लाईं। मैं माँ के चूचों को चूस रही थी। “माँ, आपके चूचे रस से भरे हैं,” मैंने कहा। विजय ने मुझे पलटा और मेरी गांड में लंड ठोका। “प्रिया, तेरी गांड भी मस्त है,” वे बोले। मेरी चूत से रस टपक रहा था। “विजय जी, मेरी चूत को भी चोदो!” मैं चिल्लाई। विजय ने मेरी चूत में लंड डाला और तेज़ी से पेलने लगे। “दोनों को रगड़-रगड़ कर चोदूँगा,” उन्होंने कहा।
सुबह होने को थी। विजय ने हमें अपनी गोद में बिठाया। “प्रिया, मेरे लंड की सवारी कर,” उन्होंने कहा। मैंने लंड अपनी चूत में लिया और उछलने लगी। “आह्ह, विजय जी, मेरी चूत फट रही है!” मैं चीखी। माँ मेरे चूचों को चूस रही थीं। “रेखा, अब तेरी बारी,” विजय ने कहा और माँ को चोदा। “आह्ह, विजय, मेरी गांड फिर चोदो!” माँ चिल्लाईं। विजय ने माँ की गांड में लंड पेल दिया। “दोनों की सुहागरात पूरी करूँगा,” विजय बोले। मैंने विजय के होंठ चूसे। “विजय जी, मुझे फिर चोदो,” मैंने कहा। मेरी चूत उनकी चुदाई की आदी हो गई थी।
चुदाई का सिलसिला और तेज़ हुआ। विजय ने हमें बिस्तर के किनारे लिटाया। “प्रिया, तेरी चूत को चाटूँगा,” उन्होंने कहा और मेरी चूत चूसने लगे। “आह्ह, विजय जी, चूसो!” मैं चिल्लाई। माँ विजय का लंड मुँह में ले रही थीं। “विजय, इसका रस मेरे मुँह में डालो,” माँ बोलीं। विजय ने माँ की चूत में लंड ठोका। “रेखा, तेरी चूत को भी चोदूँगा,” वे बोले। मेरी गांड फिर से उनकी नज़र में थी। “प्रिया, तेरी गांड में फिर लंड डालूँगा,” विजय ने कहा और मेरी गांड पेल दी। “आह्ह, और जोर से!” मैं चीखी।
आख़िर में विजय का लंड फट पड़ा। उनका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर माँ की गांड में, और बाक़ी हमारे चूचों और होंठों पर छिड़क गया। “आह्ह, विजय जी, आपका रस हमारे मुँह में डालो,” मैंने कहा। माँ और मैंने उनके लंड से टपकता रस चाट लिया। हम तीनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। “प्रिया, रेखा, तुम दोनों को सुहागरात का मज़ा दे दिया,” विजय ने हँसते हुए कहा। “हाँ, विजय जी, आपका लंड हमारी प्यास बुझाता है,” माँ बोलीं। “हर रात चोदो,” मैंने कहा। उनकी चुदाई मेरे और माँ के जिस्म में समा गई थी।