शादी में आई अनजान औरत को चोदा

लखनऊ की वो रात थी, जब बारिश की बूंदें आसमान से गिर रही थीं और धरती शादी के जश्न में डूबी थी। हवेली को रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों की मालाओं, और झिलमिलाते झाड़-फानूसों से सजाया गया था, जैसे कोई जादुई नगरी हो। ढोल की थाप थी, नाच-गाने की धूम थी, और मेहमानों की हंसी-मजाक हवा में गूंज रही थी। मैं, विक्रम, अपने बचपन के दोस्त रोहन की शादी में आया था। छह फुट का कद, चौड़ा सीना, और आंखों में वो चमक जो औरतों को बेकरार कर दे। लेकिन उस रात, मेरा लंड किसी ऐसी हसीना की तलाश में था, जो मेरी आग को और भड़का दे।

हवेली का आंगन खचाखच भरा था। औरतें अपने चटकीले लहंगों में नाच रही थीं, मर्द शराब और मजाक में डूबे थे। मैंने एक कोने में खड़े होकर भीड़ को ताड़ा, मेरे हाथ में व्हिस्की का गिलास। मेरी नजरें भटक रही थीं, किसी ऐसी औरत की तलाश में जो मेरे लंड को तड़पा दे। तभी मैंने उसे देखा। वो थी माया—एक ऐसी औरत, जो जैसे कामदेव की सबसे गर्म रचना थी। उसका लहंगा गहरा लाल था, उसके बदन से चिपका हुआ, जैसे दूसरी चमड़ी। उसकी चूत का आकार लहंगे के नीचे हल्का-हल्का उभर रहा था, उसकी गांड इतनी गोल और रसीली कि हर कदम पर लचक रही थी। उसका ब्लाउज तंग था, उसके मम्मे बाहर निकलने को बेताब, हर सांस के साथ उछलते हुए। उसकी कमर पतली थी, जैसे किसी ने रेतघड़ी तराशी हो। उसके खुले बाल बारिश की हल्की फुहारों में भीग रहे थे, और उसकी आंखें—हाय, वो आंखें—जैसे मेरे लंड में सीधे आग लगा रही थीं।

वो बार के पास खड़ी थी, एक गिलास शराब थामे, अपनी सहेली से हंस-हंसकर बातें कर रही थी। लेकिन जब उसकी नजर मुझ पर पड़ी, वो रुक गई। उसने मुझे ऊपर से नीचे तक ताड़ा, और फिर मुस्कुराई। उसकी मुस्कान में शरारत थी, जैसे वो कह रही हो, “आजा, मेरे साथ खेल ले।” मेरे लंड में एक हलचल हुई, और मैंने गिलास टेबल पर रख दिया। मैं उसकी ओर बढ़ा, मेरे कदमों में एक मर्दाना ठसक। “क्या बात है,” मैंने कहा, मेरी आवाज में छेड़खानी की गर्मी। “इतनी हसीन औरत को अकेले देखकर लंड तड़प उठता है।”

गरमा गर्म सेक्स कहानी  मेरी चुदक्कड़ विधवा माँ उन्हें बस लंड चाहिए

वो हंसी, उसकी हंसी जैसे शहद में डूबी शराब। “तड़प रहा है तो कुछ कर ना,” उसने जवाब दिया, अपनी जीभ होंठों पर फेरते हुए। उसका जवाब सुनकर मेरा लंड और तन गया। उसका नाम माया था। वो अपनी सहेली की तरफ से शादी में आई थी, लेकिन उस रात वो मेरे लिए थी। हम बार के पास खड़े हो गए, व्हिस्की के गिलास हाथ में, लेकिन हमारी बातें शराब से ज्यादा नशीली थीं। वो अपने गिलास को होंठों तक ले जाती, धीरे-धीरे चूस लेती, और मेरी नजरें उसके मम्मों पर अटक जातीं, जो हर सांस के साथ उभर रहे थे। उसकी उंगलियां अपने बालों से खेल रही थीं, और हर बार जब वो मेरी तरफ झुकती, उसकी चूत की गर्मी मेरे करीब आती महसूस होती।

“तू बहुत गर्म लग रहा है, विक्रम,” उसने कहा, अपनी उंगलियां मेरी कलाई पर फेरते हुए। उसका स्पर्श ऐसा था, जैसे मेरे लंड में बिजली दौड़ गई। “गर्मी तो तूने शुरू की है,” मैंने जवाब दिया, मेरी आंखें उसकी गांड पर टिकीं, जो लहंगे में और भी रसीली लग रही थी। उसने अपनी भवें उठाईं, होंठों पर एक कुटिल मुस्कान। “तो बुझा दे ना,” उसने फुसफुसाया, और मेरे लंड ने पैंट में उछाल मारी।

हमारी बातें अब और गहरी हो चली थीं। वो मेरे करीब आई, उसकी सांस मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी। “तुझे क्या पसंद है?” उसने पूछा, उसकी आवाज में एक कामुक लहजा। “तेरी चूत, तेरी गांड, और वो मम्मे जो मुझे पागल कर रहे हैं,” मैंने बिना हिचक कहा। वो हंसी, लेकिन उसकी आंखों में आग थी। “बोल्ड है तू,” उसने कहा, और उसका हाथ मेरी जांघ पर सरक गया, मेरे लंड के पास रुकते हुए। मैंने सिसकारी भरी, मेरी सांसें तेज हो गईं।

गरमा गर्म सेक्स कहानी  चोर ने घर में घुसकर मुझे और मेरी माँ को चोदा

“चल, कहीं और चलें,” मैंने कहा, मेरी आवाज में बेकरारी। उसने सिर हिलाया, और हम हवेली के पीछे बने बगीचे की ओर चल पड़े। बारिश की फुहारें पड़ रही थीं, हल्की-हल्की, जैसे हमारी चाहत को और भड़का रही हों। बगीचे में एक गज़ेबो था, लताओं से ढका, जैसे हमारा निजी आशियाना। हम वहाँ रुके, बारिश की बूंदें हमारे चेहरों पर गिर रही थीं। मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया, और फिर शुरू हुआ हमारा चुंबन—ऐसा चुंबन जो रूह तक आग लगा दे। उसके होंठ गर्म थे, नरम, मेरे होंठों से लिपटे हुए। उसकी जीभ मेरी जीभ से टकराई, जैसे वो मेरे लंड को चूस रही हो। मैंने उसे अपनी बाहों में कस लिया, उसका बदन मेरे बदन से सटा, और मेरा लंड मेरी पैंट में तन गया, उसकी चूत की गर्मी को तरसते हुए।

“हाय, माया,” मैंने कराहा, मेरा हाथ उसकी गांड पर सरका, उसे दबाते हुए। वो इतनी मुलायम थी, इतनी रसीली, कि मेरा लंड और कड़क हो गया। उसने मेरी शर्ट फाड़ दी, बटन बिखर गए, और उसकी उंगलियां मेरे सीने पर नाचने लगीं। “तेरा लंड तो पागल है,” उसने फुसफुसाया, उसका हाथ नीचे गया, मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए। मैंने सिसकारी भरी, मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई। “तेरी चूत भी तो भोसड़ा बनने को तैयार है,” मैंने जवाब दिया, और उसने हंसते हुए मुझे और करीब खींच लिया।

“यहाँ, अभी?” मैंने पूछा, मेरी आवाज में जुनून। “हाँ, अभी!” उसने कहा, उसकी आंखों में आग। उसने मेरी पैंट खींची, मेरा लंड बाहर निकला—कड़ा, गर्म, उसके लिए पागल। उसने उसे अपने हाथ में लिया, धीरे-धीरे रगड़ा, और मैं कराह उठा। “तेरी चूत को ये चाहिए,” मैंने कहा, और उसने अपना लहंगा ऊपर उठाया। उसकी चूत गीली थी, चमक रही थी, जैसे मेरे लंड का इंतजार कर रही हो। उसकी गांड बारिश में भीगकर और रसीली हो गई थी, और मैंने उसे सहलाया, मेरी उंगलियां उसकी चूत पर नाचने लगीं।

गरमा गर्म सेक्स कहानी  अपनी माँ को चुदते देखा ट्रैन में

“चोद मुझे, विक्रम,” उसने फुसफुसाया, और मैंने उसकी बात मानी। मैंने उसे गज़ेबो की दीवार के खिलाफ टिकाया, उसकी गांड मेरी ओर, और धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में डाला। वो सिसक उठी, उसकी चूत ने मुझे जकड़ लिया, और मैंने धक्का मारा—पहले धीमा, फिर तेज। “हाय, चोद!” उसने चीखा, और मैंने रफ्तार बढ़ाई। उसकी गांड मेरे धक्कों से हिल रही थी, उसके मम्मे लहंगे से बाहर निकल आए, उछलते हुए। मैंने एक हाथ उसकी चूत पर रखा, उसे रगड़ा, और वो पागल हो गई।

“और जोर से, चोद!” उसने चीखा, और मैंने उसे दिया—धक्के इतने तेज कि गज़ेबो हिलने लगा। उसकी चूत गीली थी, मेरा लंड उसमें डूब रहा था, और उसकी सिसकियां बारिश के शोर को दबा रही थीं। मैंने उसकी गांड को थपथपाया, उसे और उकसाया, और वो टूट पड़ी—उसकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया, उसकी चीख हवेली तक गूंजी। मैं भी पीछे नहीं रहा। उसकी गर्मी, उसकी गांड, उसकी चूत—ये सब मेरे लिए बहुत था। मेरा लंड फट पड़ा, और मैंने उसे कसकर पकड़ लिया।

हम गज़ेबो में बैठ गए, उसका सिर मेरे सीने पर। बारिश अब धीमी थी, लेकिन हमारी धड़कनें तेज। “ये रात मेरी जिंदगी की सबसे गर्म रात,” उसने कहा, उसकी आवाज में संतुष्टि। मैंने उसकी चूत को हल्के से सहलाया, और वो हंसी। “फिर मिलेगा?” मैंने पूछा। “शायद,” उसने कहा, और उसकी मुस्कान में वही आग थी।