ये है एक जलती हुई कहानी जहाँ शादी से पहले ही मेरे देवर ने मुझे चोद दिया। जब वो लड़की देखने आया, उसने मेरी चूत की प्यास बुझाई और मेरी गांड को भी नहीं छोड़ा। उसकी जोरदार चुदाई ने मेरे चूचों और होंठों को रस से भिगो दिया। इस गरम और सेक्सी मज़े में डूब जाइए, जो आपकी रात को आग लगा देगा!
मेरा नाम रानी है, मैं 24 साल की हूँ। मेरे मम्मी-पापा मेरे लिए लड़का ढूँढ रहे थे। एक दिन हमारे घर एक परिवार आया, लड़का देखने के लिए। लड़का, राहुल, 28 का था, स्मार्ट और शांत। उसके साथ उसका छोटा भाई, संजय, 22 का जवान और तगड़ा लड़का, भी आया था। संजय की आँखों में शरारत थी, और उसकी पैंट में उभरता मोटा लंड मुझे देखते ही मेरी चूत में गुदगुदी करने लगा। मैंने लाल साड़ी पहनी थी, जिसमें मेरे चूचे और गांड साफ़ उभर रहे थे। जब मैं चाय लेकर हॉल में गई, संजय ने मुझे घूरते हुए कहा, “रानी, तुम्हारी चूत तो लंड माँग रही है।” मैं चौंक गई, लेकिन मेरे जिस्म में आग लग गई।
सब लोग बातें कर रहे थे। राहुल और उसके मम्मी-पापा मेरे माता-पिता से मिल रहे थे। संजय ने मुझे आँख मारी और किचन की तरफ़ इशारा किया। मैं समझ गई कि वो मुझे अकेले में बुला रहा है। “मैं चाय बनाकर लाती हूँ,” मैंने बहाना बनाया और किचन में चली गई। संजय पीछे-पीछे आया और दरवाज़ा बंद कर दिया। “क्या कर रहे हो?” मैंने फुसफुसाया। “तेरी चूत को चोदने का मन कर रहा है, शादी से पहले मज़ा दे दूँगा,” उसने गरम लहजे में कहा और मेरी साड़ी का पल्लू खींच लिया। मेरी चोली फट गई, और मेरे नंगे चूचे हवा में लहराने लगे। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” उसने कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया।
“आह्ह, संजय, चूसो, मेरी चूत गीली हो रही है!” मैं सिसक उठी। उसने मेरी साड़ी पूरी तरह उतार दी, और मेरी चूत नंगी होकर चमकने लगी। “तेरी चूत तो रस से तर है, इसे चाटने का मज़ा आएगा,” उसने कहा और मुझे किचन के स्लैब पर बिठा दिया। उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और अपनी जीभ मेरी चूत पर फेर दी। “चाट ले मेरी चूत, इसे चूस डाल!” मैं चिल्लाई। उसने मेरी चूत के होंठ चाटे, और मेरा रस उसके मुँह में भर गया। “क्या स्वाद है तेरी चूत का, इसे चोदने का मन कर रहा है,” उसने कहा और अपनी पैंट उतार दी। उसका मोटा लंड बाहर निकला, सख्त और गरम। “ये तो मेरी चूत फाड़ देगा, संजय, डाल दे इसे अंदर!” मैंने चीखते हुए कहा।
संजय ने मुझे स्लैब पर ही कुतिया की तरह झुका दिया। मेरी मोटी गांड हवा में तन गई। “शादी से पहले तेरी गांड भी चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी गांड पर जोरदार थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने लंड से चीर डालो!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीखें किचन में गूँज उठीं। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “तेरी चूत तो लंड को निगल रही है, रानी,” संजय ने कहा और मुझे कुतिया बनाकर पेलने लगा। मेरी चूत से रस टपक-टपक कर स्लैब पर गिर रहा था। “और गहरा डाल, मेरी चूत को फाड़ डाल!” मैं चीखी।
चुदाई का खेल अब गरम हो गया। संजय ने मुझे स्लैब से उतारा और फर्श पर लिटा दिया। “अब तेरी चूत को और गहरा चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी टाँगें अपनी कमर पर लपेट लीं। उसने लंड मेरी चूत में ठोक दिया। “आह्ह, संजय, मेरी चूत चीर डाल, और तेज़!” मैं चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “तेरी चूत तो रस की नदी है, इसे चोद-चोद कर सूखा दूँगा,” उसने कहा और मेरे चूचों को मसलते हुए धक्के मारे। मैंने अपने नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए, “चोद मुझे, मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दे!” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। किचन में हमारी चुदाई की गर्मी फैल रही थी।
संजय ने मुझे उठाया और दीवार से सटा दिया। मेरी टाँगें हवा में लटक रही थीं। “अब तेरी गांड की बारी है,” उसने कहा और मेरी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। “डाल दे, संजय, मेरी गांड को चोद-चोद कर ढीली कर दे!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और गांड संजय के लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, इसे रगड़ डालूँगा!” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। मेरी गांड हर धक्के के साथ थप-थप की आवाज़ कर रही थी।
चुदाई का नशा चरम पर था। संजय ने मुझे फिर से फर्श पर लिटाया और मेरे होंठ चूसने लगा। “तेरे होंठ तो शहद हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उसने कहा और मेरे होंठों को दाँतों से दबाया। मैंने उसका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काट, इसे चोद-चोद कर फाड़ दे!” उसने मुझे फिर से कुतिया बनाया और मेरी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उसने चीखते हुए कहा। मेरी गांड थप-थप की आवाज़ कर रही थी, और मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी। “चोद मुझे, संजय, मेरी प्यास बुझा दे!” मैं चिल्लाई। उसने तेज़ी से धक्के मारे।
संजय ने मुझे घुटनों पर बिठाया। “अब मेरा लंड चूस, रानी,” उसने कहा और लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लंड को चाटने लगी। “आह्ह, संजय, तेरा लंड तो मज़ेदार है, इसे पूरा मुँह में लूँगी,” मैंने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। “चूस ले मेरे लंड को, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” उसने चीखा। मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और मैं अपनी उंगलियाँ उसमें डालकर हिलाने लगी। “तेरे लंड का रस मेरे मुँह में डाल दे,” मैंने फुसफुसाया। उसका लंड मेरे मुँह में फटने को तैयार था।
संजय ने मुझे उठाया और बिस्तर पर ले गया। “शादी से पहले तेरी चूत को बार-बार चोदूँगा,” उसने कहा और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। उसने लंड मेरी चूत में डाला, और मैं उछलने लगी। “आह्ह, संजय, तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मेरे चूचे हवा में नाच रहे थे। उसने मेरे चूचों को मसलते हुए कहा, “तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी है।” मैं चिल्लाई, “हाँ, चोद मुझे, मेरी गांड भी फिर से चोद!” उसने मुझे पलटा और मेरी गांड में लंड ठोक दिया। “आह्ह, मेरी गांड और चूत दोनों फट गईं!” मेरी चीखें कमरे में गूँज रही थीं।
चुदाई का सिलसिला तेज़ हो गया। संजय ने मुझे बिस्तर पर उल्टा लिटाया और मेरी चूत में फिर से लंड पेल दिया। “तेरी चूत को चोद-चोद कर रस से भर दूँगा,” उसने कहा और तेज़ी से धक्के मारने लगा। “आह्ह, संजय, मेरी चूत फाड़ दो!” मैं चिल्लाई। उसकी चुदाई से मेरा पूरा बदन काँप रहा था। उसने मेरे चूचों को चूसते हुए कहा, “तेरे चूचे तो माल हैं, इन्हें चूस-चूस कर दूध निकाल दूँगा।” मेरी गांड और चूत दोनों थरथरा रही थीं। “और जोर से, मेरी प्यास बुझा दो!” मैं चीखी।
आख़िर में संजय का लंड फट पड़ा। उसका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों, होंठों और मुँह में छिड़क गया। “आह्ह, संजय, तेरा रस मेरे होंठों पर लगा दे,” मैंने कहा और उसके लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। “रानी, तू तो रंडी है,” संजय ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और तेरे मोटे लंड की दीवानी,” मैंने जवाब दिया। “शादी से पहले फिर चोदना,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदूँगा,” उसने वादा किया।
संजय चला गया। हॉल में सब लोग अभी भी बातें कर रहे थे, उन्हें कुछ पता नहीं था। मैं अपनी फटी साड़ी संभालते हुए बाथरूम गई। मेरी चूत और गांड अभी भी संजय के लंड को याद कर रही थीं। “शादी से पहले ही मुझे देवर ने चोद दिया,” मैंने मन में सोचा। मेरा जिस्म उसकी चुदाई की गर्मी से चमक रहा था। राहुल से शादी की बात पक्की हो गई, लेकिन मेरी चूत अब संजय के लंड की गुलाम बन चुकी थी। कमरे की दीवारें मेरी पहली चुदाई की गवाह बन गई थीं।
शाम ढल गई। मैं सोच रही थी कि शादी के बाद भी संजय मुझे चोदेगा। मेरी चूत फिर से ललकार रही थी, और संजय की आँखों में वही शरारत थी। “शादी से पहले की ये चुदाई मेरी ज़िंदगी का सबसे हॉट मज़ा था,” मैंने मन में कहा। मेरा जिस्म अभी भी उसकी चुदाई की आग में जल रहा था, और ये सिलसिला अब रुकने वाला नहीं था।