” अब तुम दोनो पति पत्नी हो चुके हो. बेटी, अपने पति के चरण स्पर्श करो.” पंडित जी ने कहा असुर मेरी पत्नी नीलू ने झुक कर मेरे चरण स्पर्श कर लए.” अब वधू को वार माला पहनायो बेटा” मैने वार माला पहना डी. ” बेटी पति के गले में वार माला डालो” पंडितजी फिर बोले. नीलू ने मेरे गले में माला पहना डी. हम दोनो कोई 30 मिनिट के बाद मंदिर से पति पत्नी बन कर बाहर निकले. टॅक्सी में बैठ कर हम होटेल पहुँचे, जहाँ हमारा कमरा सज़ा हुआ था.
आप को सच बता देता हूँ. नीलू मेरी पत्नी बन चुकी है, लेकिन असल में वो मेरी बेहन है. हम दोनो के मा बाप स्वर्ग सिधर गये थे जब मैं 10 साल का था और नीलू 8 साल की. हमारी बुआ नीतू ने हुमको पाला पोसा. फूफा किशोरी लाल एर्क कपड़े की दुकान चलते थे और देर रात को वापिस आते थे.
धीरे धीरे हम दोनो जवान होने लगे. नीलू बहुत ही सुंदर निकली. उसस्का बदन भर गया और सीने पर उभर नज़र आने लगे. उसस्के नितंभ उभर आए और जवानी का हुस्न खिलने लगा. एक बार मैं गुसलखाने के पास से गुज़र रहा था तो पानी के गिरने की आवाज़ सुनाई पड़ी. नीलू नहाते हुए गाना गा रही थी. मेरे हरामी मान में एक स्कीम आई मैने सोच किओं ना च्छूप कर अपनी बेहन को नहाते देखा जाए? गुसलखाने के दरवाज़े में एक च्छेद था. मैने आ ंख यूयेसेस पर टीका डी. मेरी बेहन का गोरा गड्राया जिस्म पूरी तरह नंगा था और वो नहा रही थी. उसस्के हाथ बार बार उसस्की मस्त चुचि को मसल रहे थे. उसस्की चूत फूली हुई थी और यूयेसेस पर छ्होटे छ्होटे बाल उगने शुरू हो चुके थे. उससने अपनी चूत पर हाथ फिराया तो मैं डंग रह गया किओं के उसस्की उंगली उससने अपनी चूत में घुसेड डी और अंदर बाहर करने लगी. नीलू ने आँखें बंद कर रखी थी और उंगली से वो अपनी चूत छोड़ रही थी.
मुझे चुदाई के बारे में मालूम था बेशक मैने क़िस्सी को नहीं छोड़ा था. अपनी सग़ी बेहन को देख कर मैं मस्ती से भर गया और मेरा लंड खड़ा हो गया. उसस्के मूह से अजीब आवाज़ें आ रही थी. वो बुदबुदा रही थी,” ह…महेश, जल्दी करो….पेलो मुझे….है मैं मार गयी भैया….अपनी बेहन की प्यास बुझा दो, छोड़ डालो मुझे मेरे भाई,….सीईई…ऊऊ” मैं हैरान रह गया. मेरी बेहन मुझे ही याद कर के अपनी चूत छोड़ रही थी. मेरे हाथ ने मेरा लंड पाजामे से बाहर निकल लिया और यूयेसेस को सहलाने लगा. अगर मेरी बेहन मुझ से ही छुड़वाना चाहती है तो फिर दर किस बात का? मैं दरवाज़े पर खड़ा हो कर मूठ मरने लगा.
अचानक पीछे खिड़की खुली. मैने मूड कर देखा तो बुआ मुक़जे देख रही थी. बुआ मुस्कुरा रही थी और उसस्की आँखों में शरत थी. मैं घबरा गया और बाहर भाग गया. शाम को जब मैं घर लौटा तो नीलू टुटीओन पर गयी हुई थी. बुआ ने मुझे अपने कमरे में बुलाया.” महेश, बहनचोड़ काइया कर रहे थे तुम? अपनी बेहन को नंगा देख रहे थे. कितनी देर से ये सब चल रहा है? तो इससका मतल्ब है तुझ पर जवानी चढ़ रही है, मदरचोड़? तेरा हथियार तो बड़ा ज़ालिम है, बहनचोड़ जिसस को अपनी बेहन को देख कर हिला रहा था. अपनी बुआ को नंगा नहीं देखेगा? बुआ अभी जवान है. तेरा फूफा तो कुच्छ करता नहीं है, तुम ही कुच्छ कर दिखायो बुआ को. मैं तुझे कैसी लगती हूँ, यार?”
“पहली बार झाँका था गुसलखाने में आज, बुआ. माफ़ कर दो. आयेज से नहीं करूँगा कभी, बुआ सच” मैने माफी माँगी. बुआ को गौर से देखा. वो मुस्कुरा रही थी.” साले आयेज से नहीं करोगे तो काइया पीच्छे से करोगे, मदरचोड़ कहिनके? बुआ तो खुद तुझ से छुड़वाना चाहती है. मेरे भाई, तेरे बाप का तो बहुत डूमदर लंड था, तेरा देखते हैं कैसा है. तुम नीलू को छ्चोड़ो. वो अभी बची है. जब जवान होगी मैं खुद तुझे उस्स्को तेरे हवाले कर दूँगी. तब तक तू ही बुआ को शांति पहुँचा, बेटे” मैने देखा की बुआ की चुचि उसस्के सफेद ब्लाउस से बाहर निकालने को तड़प रही थी. बुआ का रंग सांवला था लेकिन जिस्म बहुत सेक्सी था. बचा ना होने की वजह से वो काफ़ी स्लिम थी. बस चुचि और गांद को छ्चोड़ कर उसस्का जिस्म च्चारहरा था. पतली कमर स्लिम पेट और सब कुच्छ लंड खड़ा करने के लिए काफ़ी था. मैने सोचा, किओं ना बुआ से काम चलाया जाए. शांति से बढ़ कर चुदाई की शिक्षा कौन दे सकता है?
मैं भी मुस्कुरा पड़ा और बुआ की तरफ बढ़ गया.” बुआ पहले वादा करो की नीलू को मेरी बनायोगी. मैं तुम दोनो के साथ प्यार से सारी ज़िंदगी बिता दूँगा. कसम से!” कहते ही मैने अपना हाथ बुआ के कंधे पर रख दिया और उससने मुझे अपनी तरफ खींच लिया. बुआ की बड़ी बड़ी चुचि मेरे सीने में धँसती चली गयी. बुआ ने मुझे मेरे चूतड़ से भींच लिया. और मेरे हाथ बुआ की कम्र पर कस गये. हम गहरे आलिंगन में थे और मेरा लंड पंत की क्वेड से बाहर आने को मचलने लगा. मैं बुआ के मुख पर झुका और उस्स्को किस करने लगा. बुआ के होंठ बहुत नरम और रसीले थे. मैं उनको चूमने लगा और वो मुझे चूमने लगी. उससने अपनी ज़ुबान मेरे मुहन में घुसा डाली जिस्सको मैने चूसना शुरू कर दिया. हमारे मुख रस एक दूसरे से मिल रहे थे और वासन का दौर ज़ोर पकड़ रहा था.
हवस के कारण अब मेरे हाथ बुआ के ब्लाउस के अंदर जा कर उसस्की मस्त चुचि को टटोलने लगे. मेरी बुआ के बदन से एक ज़बरदस्त गर्मी निकल रही थी और बुआ की चुचि को स्पर्श करते ही मुझे नशा सा होने लगा. बुआ ने अपनी एक जाँघ को मेरी टाँगों के बीच धकेल दिया और मेरा लंड उसस्की जाँघ पर घर्षण करने लगा,” ओह मेशी….कितना मोटा है तेरा लंड….मैने एस्सा लंड आज तक नहीं देखा..तेरा फूफा तो सला कुच्छ भी नहीं है तेरे मुक़ाबले में…आज तेरे फूफा के बिस्तर पर ही तुझे अपना सब कुच्छ भेंट करूँगी, मेरे मेशी…आज से नीतू तेरी है…रग़ाद दल अपनी बुआ को मेरे यार…रग़ाद रग़ाद कर छोड़ ले अपने बाप की बेहन को” बुआ बोलती गयी और अपना हाथ नीचे सरका कर मेरे लंड को पकड़ कर मुठियाने लगी.
मैने तब तक बुआ के ब्लाउस को खोल दिया और उसस्के निपल्स को उंगली और अंगूठे में दबाने लगा. बुआ की चुचि पर घुंडी काफ़ी बड़ी हो चुकी थी.” बुआ, जी करता है तेरी चुचि चूस लून. नीलू की तो अभी छ्होटी है….तेरी चुचि तो बहुत बड़ी और कसी हुई है. बुआ काइया मैं चुचि चूस सकता हाऊं, बस एक बार!” बुआ भारी आवाज़ में बोली,”मेशी, एक तो मुझे तुम अकेले में नीतू कहा करो, बुआ नहीं. बहनचोड़, मुझे छोड़ना भी चाहते हो और कहते भी बुआ हो. तू मुझे यार बोल, रंडी बोल पर बुआ मत बोल, ठीक है? चुदाई का मज़ा नहीं आएगा वेर्ना”
मैने बुआ की ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसस्की चुचि को नंगा कर दिया. काइया चुचि थी नीतू की? ‘नीतू, तेरा यार महेश अब तेरी चुचि चूसना चाहता है, चूस लून काइया? तेरी इजाज़त चाहिए” नीतू मस्ती में बोली,” ये हुई ना बात! चूस मेरे यार, खूब जी भर के चूस. तेरा फूफा ना तो खुद चूस्ता है और ना ही उससने मुझे मा बनाया है जिसस से मेरा कोई बचा हो जो मेरा दूध पी सके. बहनचोड़ मेरे निपल मूह में ले लो. तेरा फूफा तो ना मुझे लंड चूसने देता है और ना ही मुझे चूस्ता है. अब तो तू ही मेरा सपना पूरा कर सकता है, मेरे मेशी!”
मैने बुआ की चुचि पर ज़ुबान फेरी, होंठ रगड़े और निपल को मूह में ले लिया, बुआ के मुख से एक वासनात्मक सिसकी निकली,” अहह….मेश्िीीईई….ओह…..म्म्म्ममम…चूस ले मदरचोड़….एयाया…तेरी ,आ की चूत….चूस मेरा निपल…” मुझे तो नशा चढ़ गया बुआ की सिसकी सुन कर. मैने जवानी में किस की चुचि को स्पर्श तक नहीं किया था. अब मैं अपनी बुआ की मस्त चुचि का स्वाद चख रहा था. बुआ भी भड़क उठी और मेरे लंड को बाहर निकालने लगी. उससने मेरी पंत की बेल्ट खोल डाली और मेरे लंड को झपट लिया. लंड से रस की बांड तपाक रही थे और लंड लोहे जैसा कड़ा हो गया. बुआ मेरे लंड को अपनी चूत की तरफ खींच रही थी और साथ ही उसस्के हाथ मेरे लोड से खेल रहे थे.
नीतू की सारी अस्त व्यस्त हो चुक्की थी. मैं उसस्के बदन से सारी उत्तरने लगा. पेटिकोट के सामने का हिस्सा शायद चूत रस से भीग गया था किओं की कपड़े पर गीलेपन का निशान था. मैने एक हाथ बुआ की चूत पर रख दिया,” ऑश किओं च्छेदता है अपनी बुआ की चूत…..मेरी चूत में आग भड़क चुकी है, मेरे यार,,,लंड मांगती है मेरी चूत, हाथ नहीं….तेरा लंड भी इससके अंदर घुसना चाहता है…मेरी चूत की इच्छा पूरी कर दो बेटे..एक चुदसी औरत की लंड की प्यास बुझाने से बड़ा कोई पुण्या का काम नहीं होता…अब देर मत कर बेटा, छोड़ दल अपनी नीतू को”
जल्दी जल्दी मेरे हाथ बुआ का पेटिकोट उतरने लगे जिससके नीचे नीतू ने पनटी नहीं पहनी थी. बुआ की शेव की हुई चूत फूली हुई थी और मेरा हाथ लगते ही फदाक उठी. मुझे लगा की मेरा हाथ क़िस्सी आग के शोले को स्पर्श कर रहा है. मेरे बदन में एक करेंट दौड़ गया. बुआ का क्लिट, कड़ा हो चुका था और चूत की फाँकें मस्ती से गुलाबी हो चुकी थी. मेरे हाथ ने गरम चूत के माँस को मुति में भर कर दबा दिया. मेरा हाथ चूत रस से भीग गया और बुआ सिसकारी लेने लगी. मेरे होंठ बुआ के निपल चूस रहे थे और हाथ मस्त चूत को मसल रहा था. वासना का तूफान पूरे ज़ोर पर था. मैने नीतू को उठाया और बिस्तर पर ले गया. बुआ पीठ के बाल टाँगें पसार कर लेट गयी. उसस्की आँखें बंद थी. नंगी औरत का नज़ारा कितना मस्त होता है कोई मुझ से पुच्छे. नीतू के काले बाल खुल चुके थे.” नीतू तुमने शायद इसी बिस्तर पर सुहग्रात मनाई होगी. अब मैं तुझे इसी बितर पर अपना रहा हूँ.” मैने कहा.
” सुहग्रात! हा, यूयेसेस बहनचोड़ किशोरी के साथ? उसस्का लंड तो मेरी सारी के अप्पर ही पिचकारी छ्चोड़ गया था, राजा. तेरा फूफा तो बस टीन ढके मरने वाला है. जब तक मेरी चूत को पता चलता है की चुदाई होने वाली है, तेरा फूफा मदरचोड़ झाड़ कर सो भी जाता है. आज मुझे अपने भतीजे से बहुत उमीद है. कमाल के बाद मैने तेरा लंड ही मस्त देखा है” मैं हैरान रह गया, कमाल मेरे पापा का दोस्त है जो देल्ही में रहता है और बहुत आमिर है,” हन बेटा, कमाल से में चोरी चोरी छुड़वा लेती हूँ. काफ़ी दूं है उसस्के लंड में. मैं बहाना बना कर उस्स्को मिलती हूँ, अब तुम से काइया परदा. तुम तो जानते ही हो की उसस्की पत्नी मार चुकी है, अब मुझे ही अपनी पत्नी समझता है. अब तुम भी मेरा ख्याल रखना, महेश”
मेरा टन मान जल गया. तो बुआ, साली रंडी, कमाल अंकल की रखैल है? तो ठीक है, अब वो मेरी भी रखैल ही बन कर रहेगी.” बुआ कौन सा आसान पसंद है तुझे? अगर फूफा के साथ सुहग्रत नहीं मनाई तो मैं तेरी इच्छा पूरी कर देता हूँ, मेरी नीतू रानी, काइया तुम नीचे लेतो गी या फिर महेश के लंड की सवारी करोगी? ना जाने कितने लंड खा चुकी हो तुम, अब तो सभी आसान ट्राइ कर लिए होंगे. मेरा मान तो करता है तुझे घोड़ी बनाने का. लेकिन आखरी फ़ैसला तो तुम को ही करना है” मैने कटाक्ष करते हुए कहा, लेकिन नीतू हवस से इतनी भारी हुई थे की बोली,” महेश बेटा, मुझे घोड़ी बना या कुट्टी, लेकिन नीतू कुट्टी की चूत को भर दे अपने लंड से, और नहीं रहा जाता.”
मैने नीतू को उल्टाया और वो मेरे सामने घोड़ी बन गयो. मैं अपने लंड को मसालते हुए उसस्के मस्त गांद को देखने लगा.” अब चढ़ भी जा घोड़ी पर मेशी….सोच काइया रहा है? जल्दी कर मदरचोड़. कब से तरस रही हूँ मस्त लंड को, पेल दे मेरी चूत में…..हाईईईई….छोड़ भी मुझे!” मैने नीतू के चुटटर पकड़ कर लंड का सूपड़ा चूतड़ की दरार से चूत के मुहाने पर टीका दिया और मार दिया ज़ोरदार ढाका. नीतू तज़ुर्बेकार औरत थी. भीगी हुई चूत के कारण मेरा लंड एक ही बार में दनदनाता हुआ बुआ की चूत में परविष्ट हो गया. नीतू की चूत साली इतनी टाइट थी की चूत ने मेरे लंड को ग्रिफ़्ट में ले लिया. मेरा लंड अब तूफ़ानी रूप धारण कर चुका था.” आह नीतू…साली कितनी छुड़वा चुकी है पर तेरी चूत आज भी कुँवारी लड़की जैसी है….मेरा लंड कैसे जाकड़ रखा तेरी चूत ने! एस्सा आनंद मुझे सपने में भी नहीं मिला आज तक, नीतू, चुदाई तो बस जन्नत है!”
नीतू उतेज़ित हो कर हाँफ रही थी. उसस्की चुचि नएचे झूल रही थी. मैने उसस्के चुटटर से हाथ अलग कर के उसकी चुचि को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया, दबाना शुरू कर दिया. नीतू भी अपने आप में ना रही. ” हााई महेश, साले कैसे पेला है अपनी नीतू को तुमने….तेरा कुँवारा लंड बहुत डूमदर है….कमाल भी इतना डूमदर नहीं है….छोड़ मुझे, मसल दे मेरी चुचि….कितना मस्त लंड है तेरा..मेरी नज़र तुझ पर पहले किओं नहीं पड़ी….छोड़ मुझे मेशी!” मैं अपनी स्पीड बढ़ने लगा. मेरा लंड पिस्टन बन चुका था. जब मेरा लंड बुआ की चूत में घुसता तो फ़च फ़च की आवाज़ आती. चूत से रस की बरसात हो रही थी. नीतू के बाल उसस्की पीठ पर फैल चुके थे. अचानक मुझे ना जाने काइया हुआ, मैने उसस्के बलों को पकड़ कर खेंच लिया और उसस्की गर्दन को पीच्छे मुड़ना पड़ा. उसस्के बलों को मैं घोड़ी की लगाम बना कर हांकने लगा. चुदाई अब राक्षसी रफ़्तार पर चलने लगी. नीतू अपने चूटर मेरे लंड पर धकेल रही थी.
” ओह मेशी…ऑश हरामी….मेरी बछेड़नी से टकरा रहा है तेरा लंड मदरचोड़…फाड़ दे मेरी चूत….बना दे इससका भोसड़ा…बहनचोड़ छोड़ ले अपनी रंडी बुआ को, नीतू को पेल मेरे बेटे…ओह…..म्म्म्ममम….आअगग्ज्ग”
मैं पागल हो चुका था. एक हाथ से मैं नीतू के बाल खींच रहा था दूसरे से उसस्की चुचि दबा रहा था और झुक कर उसस्की पीठ को चूम रहा था. मेरी बुआ का जिस्म मेरे लिए एक ननगए गोश्त की दावत बन गयी थी. नीतू ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी जांघों के बीच से मेरे अंडकोष पर रख दिया और उनको मसल दिया. मेरे अंडकोष से अप्पर उठती हुई आग मेरे लंड रस के रूप में मेरे लंड की तरफ़ उठी.” आआआअ….बुआ….बहनचोड़…..मेरा लंड छ्होट रहा है….तेरी चूत ने मुझे ग्युलम बना लिया है..काश मेरी नीतू मेरी ही हो कर रहती…ओह मेरा लंड गया…मैं झार रहा हूऊओन” मैने अब अपना हाथ बुआ के क्लिट से रगड़ा दिया. बुआ तड़प उठी. वो पागलों की तरह सिर हिलने लगी ज़ोर ज़ोर से गांद पीच्छे कर के छुड़वाने लगी. वो भी झड़ने वाली थी.
मेरा लंड अपनी पिचकारी छ्चोड़ने लगा. उधर बुआ भी चूत रस छ्चोड़ने लगी,” हााआआं बेटे बस….नीतू भी गइईए…चूत झारीईए…छोड़ ज़ोर से…निकल दे मेरा पानी….ऑश बेटा छोड़ मुझे….रग़ाद कर छोड़ मेरी चूत….म्म्म्मममम…..मैं गयी!” जब मेरा लंड बुआ की चूत से निकला तो कुच्छ रस उसस्के चुटटर पर जा गिरा और कुच्छ उसस्की जांघों से होता हुआ चादर पर. नीतू, बिस्तर पर पेट के बाल जा गिरी और मैं उसस्के नंगे जिस्म पर ढेर हो गया. मैने उसस्के कान को अपने होंठों में दबा कर किस करते हुए कहा” नीतू, नीलू को मेरा बनाने वाली बात याद है ना? मैं नीलू को तेरी तरह छोड़ कर सदा के लिए अपना बनाना चाहता हूँ….अपनी पत्नी की तरह” बुआ ने अपने मूह तकिये में च्छूपा कर कहा,” ठीक है, मेरे राजा, जब बाप की बेहन को छोड़ लिया है तो अपनी को भी छोड़ लेना. मेरा वादा है की तुझे नीलू का पति बनायूंगी, लेकिन अपने फूफा के आने से पहले एक रौंद और ना हो जाए?”