Antarvasna Sex

पिछले भाग में आपने देखा कि मैंने अंजलि को किस तरह प्यार किया और अपना दीवाना बनाया अब आगे.. सुबह उठकर हम ने एक दूसरे को किस किया और में नहाने चला गया जब में नहा कर आया तो उसे देखता ही रहा गया। वो बला की ‘काँटा माल’ लग रही थी.. उसने स्लीवलैस ब्लाउज और लाल रंग की साड़ी पहनी थी। आगे से नाभि से नीचे बंधी साड़ी क़यामत ढा रही थी तो पीछे से उसकी आधी नंगी पीठ कामुकता बिखेर रही थी। फिर मेरा हाथ उसके ब्लाउज में गया और मैं उसके मम्मों को दबाने लगा, फिर मैं उसे चुम्बन करने लगा और वो मेरा साथ देने लगी।


मैंने उसका ब्लाउज थोड़ा खोला और उसके मम्मों को पूरे हाथ में भरते हुए दबाने लगा। इसी तरह हम चुम्बन करने लगे, वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।
हम दोनों ने काफी देर चूमाचाटी की। अब हम दोनों हद से ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे.. तभी अंजलि मुझसे बोली- डियर एक मिनट में आती हूँ।
वो मुझे छोड़ कर किचन में जाने लगी। मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं उसके पीछे-पीछे चला गया। उसने वहाँ जाकर अभी फ्रिज खोल कर आइस ट्रे ही निकाली थी कि मैंने उसके हाथ से आइस ट्रे लेकर उसे वहीं प्लेटफॉर्म पर ही लेटा दिया और उसकी साड़ी उतार दी। अब मैंने आइस ट्रे से बर्फ का टुकड़ा लिया और उसके पूरे बदन पर फिराने लगा। वो मचल उठी.. इस स्थिति में वो और भी कातिल लग रही थी।


फिर मैं उसके मम्मों को चूसने लगा। वो भी मादकता से लबरेज आवाजें निकालने लगी। मैंने उसकी टांगों को अपने कन्धों पर रखा और उसकी मखमली चूत को चाटने लगा। अब मैंने नीचे रखी डलिया में से एक मूली निकाली और मूली को उसकी चूत में डालने लगा।
वो कराहने लगी.. पर मैं उसकी जाँघों पर चुम्बन करने लगा। मैंने मूली चूत में घुसेड़ी कुछ देर बाद उसे मजा आने लगा और उसकी चूत पानी निकालने लगा.. वो झड़ गई। फिर मैंने सही पोज में करके अपना लण्ड उसकी बुर में डाला उसने एक मीठी आह्ह.. भरी और अपने पैरों से मेरे जिस्म को जकड़ लिया।
धकापेल चुदाई होने लगी।


मैंने उसके मदमस्त मम्मों को अपनी मुट्ठी में भर कर उसे हचक कर चोदा। कुछ मिनट की रंगीन और रसीली चुदाई के बाद अंजलि झड़ गई। उसके गरम रज से मेरा लौड़ा भी पिघल गया और मैंने भी अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
फिर हमने पूरे पांच दिन। दिन में 3 बार चुदाई की। हम दोनों ने खूब चुदाई की।
आज भी हम दोनों मौका मिलते ही सेक्स करते हैं। कुछ दिन बाद अंजलि ने बताया कि वो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है। तो मैं बहुत खुश हुआ। कुछ समय बाद वीर का मुंबई में ट्रांसफर हो गया और वो दोनों वहीं शिफ्ट हो गए। अब तो अंजलि के बिना सूना-सूना लग रहा है लेकिन मैं महीने में अभी भी दो बार अंजलि के पास जाता हूँ। कहानी कैसी लगी, अपने सुझाव जरूर भेजिएगा।
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