भाभी सारी हदें पार कर मुझसे रोजाना चुदवाती थी

देवर भाभी की सेक्स कहानी गाँव की : आज मैं अपनी ज़िदगी की सच्चाई बताने जा रहा हूँ। मैं रोजाना सोचता उस पल का जो दो तीन महीने तक मेरे साथ हुआ था। उस समय मेरी उम्र ज्यादा नहीं थी। मैं पढाई कर रहा था। मैं सोचा भी नहीं था सेक्स और चुदाई के बारे में पर एक दम से मेरे सामने वो चीजें आ गयी और मुझे आना पड़ा सेक्स में।

आज मैं आपको अपनी सेक्स कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर सुनाने जा रहा हूँ। ये मेरी पहली कहानी है पर मेरे दिल के और ज़िंदगी के बहुत करीब है। आज तक मैं उन पलों को नहीं भूल नहीं पाया हूँ ना तो कभी भूलूंगा वो खट्टी मीठी याद सदा मेरे सीने में रहेगा। आज मैं आपलोगों को शेयर कर रहा हूँ।

मेरा नाम रवि है अभी दिल्ली में रहता हूँ। ऐसे मैं बिहार का रहने वाला हूँ। बात बहुत पुराणी है। जब मेरे चचेरे भाई का शादी हुआ था। उस समय वो दिल्ली में रहता था और मैं गाँव में रहता था। पढाई करता था। मेरे चचेरे भाई का नाम विनोद है। उनकी शादी हुई और कुछ ही दिनों में दिल्ली आ गए।

उनके घर में कोई नहीं था एक बूढी माँ थी और उनकी पत्नी। भाभी थी बहुत ही हॉट और मोटी, देखने में सुन्दर थी। मस्त माल थी। नई नवेली दुल्हन थी तो ऐसे भी सज धज कर रहती थी तो और भी सेक्सी लगती थी। मेरा घर सामने था और वो मुझे खिड़की से निहारते रहती थी। मुझे शर्म आती थी किसी औरत से बात करने में तो मैं हमेशा इधर उधर ही रहता था पर वो अपने देवर पर मेहबान थी इसलिए लाइन देते रहती थी।

एक दिन की बात है मैं सुबह ही पढ़कर आ गया था गर्मी का दिन था। तो उन्होंने कहा आ जाईय मुझे मन नहीं लग रहा है। तो मैंने पूछा चाची कहा है तो वो बोली वो अपने मायके गयी है उनके भाई का तबियत ख़राब है इसलिए। मैं समझ गया वो अकेली हैं। तो लगा अकेली है तो चला जाता हूँ उनका मन लग जाएगा।

मैं जब गया वो बहुत खुश हुई। कमरे में ही बैठा और वो दरवाजे के चौखट पर। बातचीत होने लगी वो काफी कुछ पूछने लगी। मुझे भी किसी औरत से बात कर के अच्छा लगने लगा। काफी देर हो गया फिर वो मजाक करने लगी ऐसा होता है हमारे यहाँ भाभी देवर में खूब मजाक चलता है। तो पूछ ली क्या आपका चूहा किसी बिल में गया अभी तक की नहीं। इतना सुनते ही मेरा दिमाग ख़राब हो गया मैं लजा गया।

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मैंने कहा नहीं नहीं मैं ऐसा नहीं हूँ। तो वो बोलने लगी क्यों चूहा तो कही भी जा सकता है किसी भी बिल में। तो मुझे थोड़ी थोड़ी हिम्मत होने लगी आखिर मर्द हूँ मैं कह दिया इधर उधर जाने वाला चूहा नहीं है। जब बिल होगा तो उसी में जाएगा। वो इम्प्रेस हो गयी बोली आपने मुझे खुश कर दिया ये बात बोलकर।

मैं भी खुश हो गया किसी औरत के मुँह से अपनी बड़ाई सुनकर। फिर क्या था मेरे मन में भी कुछ कुछ होने लगा। पर मुझे शर्म भी आ रही थी तो मैं कमरे से बाहर जाने लगा। वो दरवाजे पर बैठी थी। जैसे ही चौखट के बाहर पैर रखने की कोशिश की उन्होंने मेरा लंड छू लिया। और जोर जोर से हसने लगी मैं तुरंत ही अपने आप को कमरे के अंदर खींच लिया। वो जोर जोर हसने लगी और कहने लगी ये चूहा खड़ा क्यों हो गया बताओ बताओ जब कही जाना नहीं चाहता है तो और अपने बिल में ही जाना चाहता है। मैं शर्म से पानी पानी हो गया क्यों की बात भी सच कह रही थी।

उसके बाद वो खड़ी हो गयी। गर्मी का दिन था तो दूर दूर तक कोई नहीं था और उनके घर में कोई ऐसे भी नहीं था किसी का आने का भी कोई प्रश्न नहीं था। भाभी फिर से मेरे तरफ बढ़ी और मैं फिर कमरे में ही इधर उधर भागने लगा। फिर उन्होंने छू दिया मेरे लंड को। इस समय तक तो मेरा लौड़ा और भी मोटा और लम्बा हो चुका था। अब मैंने कहा आप छू रहे हो क्या समझकर और अब मैं भी उनके पीछे भागने लगा।

इतने में वो बैठ गयी उनका आँचल इधर उधर हो गया बड़ी बढ़ी चूचियां जो ब्लाउज से बाहर आ रही थी जब घुटने से दबाई तो दोनों चूचियां बाहर आने को हो रही थी। दोस्तों क्या बताऊँ मेरा मन डोल गया। मैं छूने की कोशिश करने लगा पर वो मुझे छूने ही नहीं दे रही थी बस हँस रही थी और अपने जिस्म को छुपा रही थी।

मुझे समझ नहीं आ रहा था जो औरत अभी मजाक कर रही थी मेरा चूहा मांग रही थी पर वो अपनी चूचियां भी छूने नहीं दे रही थी। मैं अब उनको पीछे से पकड़ लिया और उनकी चूचियों को छूने की कोशिश करने लगा। इतने में वो कड़ी हो गयी उनका गांड मेरे लंड के पास आ गया सट गया और दोनों चूचियां मेरे दोनों हाथों में। ओह्ह्ह्हह ये था असली मजा उस दिन का। मैं चूचियां दबाने लगा और गांड में लंड रगड़ने लगा।

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मेरी साँसे तेज तेज चलने लगी। मैं पागल हो रहा था। वो भी शांत हो गयी और चुप हो गयी। दो तीन कदम आगे बढ़ी और दरवाजा लगा दी। बाहर जोर जोर से हवाएं चल रही थी गर्मी के कारण सभी लोग घर के अंदर थे। फिर वो खिड़की के पास आकर झांई और खिड़की भी सटा दी।

अब वो मेरे सामने आ गई. और ब्लाउज का हुक खोल दी। और ब्लाउज निकाल कर उन्होंने साडी भी उतार दी ब्रा भी खोल दी। मैं पागल हो गया उनकी चूचियां और जिस्म को देखकर। वो तुरंत ही मुझे बुला ली और लेट गयी निचे चटाई पर। मैं भी बैठ गया अपना पजामा खोलते हुए और फिर मैं उनके जिस्म को निहारने लगा।

उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रख दिया और उन्होंने अपने होठ को खुद ही अपनी दांतो से दबाने लगी। बार बार जीभ निकालते और आँखे बंद कर लेती। मैं हौले हौले से उनके बूब्स को दबाने लगा ये मेरा पहला अनुभव था किसी औरत के जिस्म को सहलाना बूब्स पकड़ना।

उन्होंने खुद ही मुझे अपने ऊपर खींच लिया और फिर चूमने लगी। मैं भी चूचियां दबाते हुए उनके होठ को चूसने लगा। गर्मी में हाल बुरा हो रहा था। पसीने पसीने हो गया था। उन्होंने अपना पेटीकोट उतार दिया और फिर मेरे जाँघियां को खोल दिया। अपना पैर अलग अलग किया और बिच में ले आकर मेरे लंड को पकड़ कर खुद ही अपनी चूत में ले लिया।

क्यों की मैं उनकी चुत में लंड घुसा नहीं पा रहा था क्यों की मुझे छेद नहीं मिल रहा था। पर उन्होंने खुद ही गांड उठाकर अपने चूत के छेद पर लंड लगाकर अपने से ही अंदर कर ली। और वो खुद ही गांड गोल गोल घुमाने लगी। मैं भी धीरे धीरे ऊपर निचे करने लगा। मेरे जिस्म में आग लग रही थी। मैं चूचियां दबा रहा था होठ चूस रहा था। पर मेरे से ज्यादा वो मेरे जिस्म के मजे ले रही थी।

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गांड उठा उठा कर मेरे से चुदवाने लगी और मैं भी धक्के दे दे कर पहली चुदाई का आनंद ले रहा था। करीब आधे घंटे तक मैं उनको चोदा पर वो ही झड़ गयी थी मेरा वीर्य बाद में गिरा था। वो शांत हो गयी थी लेटी रही हाथ पैर फैलाकर मैं वही पर चुपचाप कपडे पहन रहा था और वो आँखे बंद कर लेट गयी।

मैं वह से चला गया। रात को वो मेरा इंतज़ार कर रही थी। क्यों की करीब ७ बजे शाम को मैं क्रिकेट खेलकर वापस आया तो वो खिड़की के पास खड़ी होकर मुस्कुरा रही थी और बुला रही थी। मैं गया तो वो बोली रात को यही सो जाना। मैंने कहा ठीक है। और फिर रात को खाना खाते खाते घर में बोल दिया भाभी कह रही थी मुझे छत पर सो जाने वो निचे सो रही है कह रही थी मम्मी नहीं है इसलिए डर लग रहा है।

मेरे घरवाले भी जाने को बोल दिए अब क्या था दोस्तों मजे ही मजे। पूरी रात इसबार अच्छे से चोदा था भाभी को। वो अपनी सारी हदें पार कर दी थी। दिन में शाम को रात को दुपहर को जब मर्जी उनकी ही मुझे बुला लेती या बुलवा लेती किसी के द्वारा और तुरंत ही दरवाजा बंद कर देती और खुद ही सब कुछ करने लगती।

ऐसा करीब 6 महीने तक चला था फिर मैं भी बाहर आ गया पढ़ने। अब तो बस उनको निहारता हूँ जब गाँव जाता हूँ। और पुरानी यादें फिर से ताजा कर लेता हूँ।

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