हाय दोस्तों, मैं शाइना आप सभी का नॉन वेज स्टोरी में स्वागत करती हूँ। आज मैं आपको इतनी मस्त स्टोरी सुनाऊँगी की सभी लड़के इसको पढकर मुठ मार लेंगे और सभी लड़कियां अपनी चूत को ऊँगली करने लग जाएंगी। दोस्तों मैं कानपुर में रहती हूँ। मैं एक बहुत की सेक्सी लडकी हूँ। अभी सिर्फ २२ साल की हूँ और अभी मेरी शादी भी नही हुई है। मैं पहले कुछ साल नौकरी करना चाहती हूँ और उसके बाद ही मैं शादी करुँगी। मैंने यही प्लान बनाया है। दोस्तों, मैंने आर्किटेक्चर में पढाई की है और मैं बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स के डिजाइन बनाती हूँ। मैंने लखनऊ की एक बड़ी आर्किटेक्चर फर्म में नौकरी के लिए फॉर्म भर दिया। वहां पर मुझे अच्छी सैलरी मिल जाएगी अगर मैंने उनका इंटरव्यू पास कर लिया तो।
कुछ दिनों बाद उस कम्पनी ने मुझे नौकरी के लिए लेटर भेज दिया की ३० जनवरी को मेरा इंटरव्यू होगा। मैंने पसेंजेर ट्रेन कर ली, क्यूंकि एक तो ये खाली रहती है, उपर से इसका किराया भी काफी कम होता है। मुझे सिर्फ २० रूपए खर्च करने पड़े। पसेंजर ट्रेन में जाते वक़्त मैं एक जवान लड़के से लड़ गयी।
“सॉरी जी !!” मैंने कहा
“कोई बात नही!!” वो लड़का बोला। वो देखने में बहुत हैंडसम था। काफी लम्बा चौड़ा लड़का था। उसके डोले शोले उसके बाजुओं से दिख रहे थे। मैं खिड़की के पास बैठना चाहती थी, पर वहां पर कोई भी खिड़की के पास की सीट खाली नही थी। जब मैं अंदर वाले बोगी में गयी तो वहां कोई नही था। वो लड़का जिससे मैं टकरा गयी थी वो ही वहां बैठा हुआ था। वहाँ वहा उसके बगल जाकर बैठ गयी।
“हलो !! क्या आप मुझे खिड़की के बगल बैठने देंगे, मुझे जरा चक्कर आता है!” मैंने उस हैंडसम लड़के से रिक्वेस्ट की
“जी आइये !! आइये !!” वो बोला और उसने मुझे अपने बगल खिड़की के पास बिठा लिया। कुछ देर में ट्रेन रवाना हो गयी और लखनऊ की तरह चल पड़ी। मैं उसके बगल ही बैठी हुई थी। वहां पर सिर्फ वो लड़का और मैं ही थी। उस लड़के का नाम युसूफ राजा था। वो देखने में बिलकुल राजा जैसी पर्सनाल्टी का लगता भी था
“आज कहा से है???’ युसूफ ने पूछा
“मैं कानपुर से हूँ!! लखनऊ नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रही हूँ!!” मैं उसे बताया। धीरे धीरे मैं युसूफ से खूब बाते करने लगी। फिर वो कुछ बुक्स निकालकर पढ़ने लगा। उसके बैग में कई किताबे थी। मैंने उससे एक बुक मांगी तो वो संकोच करने लगा
“अरे युसूफ!! दो यार !! इतना सोच क्या रहे हो??” मैंने कहा तो उसने मुझे एक बुक निकालकर दे दी बेमन से। जब मैंने किताब खोली तो अचरज में पड़ गयी। पूरी किताब में नंगी नंगी चुदाई वाली लड़के लकड़ियों की फोटो थी। बहुत ही उतेज्जक फोटोज थी उसमे। मैंने मैंने किसी तरह का ऐतराज नही किया और उस किताब की नंगी नंगी चुदाई वाली फोटोज मैंने देखती चली गयी। कुछ देर में मुझे मजा आने लगा और मेरा भी चुदने का मन करने लगा। मैंने सामने युसूफ की तरह देखा तो वो मेरी ओर ही देख रहा था। मैंने काले रंग का टॉप और जींस पहन रखी थी। पैरों में मैंने सिम्पल हाई हील्स पहन रखी थी। मेरा ट्रेन पार्टनर युसूफ ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया।
“शाइना !! क्या तुमको ये किताब अच्छी लगी???’ उसने पूछा
“हाँ !! बहुत अच्छी है!” मैंने कहा। उसके बाद युसूफ ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया। तो दोस्तों, मैं भी कुछ ना बोल सकी। फिर धीरे धीरे हम दोनों एक दुसरे के बिलकुल करीब आ गये और युसूफ ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लिया। दोस्तों, पता नही क्यों मेरा भी इश्कबाजी करने का मन करने लगा। अचानक मेरा भी चुदने का मन करने लगा था। कुछ देर बाद युसूफ और मैं एक दुसरे से चिपक गये। और हम एक दूसरे के करीब आकर एक दुसरे से प्यार करने लगा। सायद मैं जवान लड़की थी। सायद मैं किसी हैंडसम लड़के को अपना बॉयफ्रेंड बनाना चाहती थी, इसलिए मैंने युसूफ को चलती ट्रेन में मुझे छूने से नही रोका।
कुछ देर बाद मैं पाया की वो मेरे होठ पी रहा था। मैंने उस अजनबी को अपने रसीले होठ चूसा रही थी। सायद मैं उस समय बहुत गर्म हो गयी थी और चुदना चाहती थी। चलती ट्रेन में हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे। मैंने अपना हाथ युसूफ के गले में डाल दिया और उसे अपने सीने से लगा लिया। उसने मेरे कंधे पर अपने हाथ रख दिए।
“शाइना !! क्या तुमने कभी चलती ट्रेन में चुदवाया है???’ युसूफ बोला
“नही युसूफ!! मैंने कभी चलती ट्रेन में नही चुदवाया है!” मैं जवाब दिया
“जान !! एक बार ट्रेन में चुदवाओ तो सही। बहुत मजा आता है” युसूफ बोला
“ओके !! तुम चाहो तो आज मुझे यही चलती ट्रेन में चोद लो!” मैंने कहा
उसके बाद हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ गये। दूसरी बोगी से लोगो की बहुत आवाज आ रही थी। मुझे डर था की कही मैं यहाँ अपने दूध दबवाती रहू और कोई मुझे इस तरह इश्कबाजी करते हुए ना देख ले। दोस्तों जब जब ट्रेन रूकती तो मैं उस अजनबी लड़के युसूफ से अलग हो जाती क्यूंकि वहां पर कोई ना कोई आता रहता। जैसे पानी और चाय बेचने वाले लड़के, अख़बार बेचने वाले आदमी वगेरह वगेराह। जब ट्रेन फिर से चलने लग जाती तो हम दोनों बिलकुल पास पास आ जाते और खूब एक दूसरे को किस करते और चुम्मा लेते। कुछ देर बाद युसूफ मेरे ने मेरे काले रंग के सेक्सी टॉप के अंदर हाथ डाल दिया और मेरे बूब्स को सहलाने लगा।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था दोस्तों। मैंने युसूफ को कुछ नही कहा। मैंने उसे रोका भी नही। मेरी ट्रेन खटर खटर पटरियों पर दौड़ती रही और वो अजनबी मेरे टॉप में गले की तरह से हाथ डालकर मेरे दूध सहलाता रहा। फिर युसूफ तेज तेज मेरे आम दबाने लगा। दोस्तों, मेरा फिगर ३६, ३०, ३२ का था। मेरे दूध दूध नही बल्कि अमृत के प्याले थे।
“शाइना !! चूत दोगी??? युसूफ ने मुझसे बड़े प्यार से पूछा
“यार!! मेरा भी तुमसे चुदवाने का बहुत मन है, पर यहाँ चलती ट्रेन में कैसी चुदाई हो पाएगी?? कोई यात्री उधर से आ गया तो???” मैंने पूछा
“अरी शाइना !! तू तो कुछ नही जानती है!! कितनी लड़कियां ट्रेन में चुदवा लेती है! तुम खामखा की बात सोच रही हो! जब तक कोई इस तरफ आएगा तुम चुद चुकी होगी!” युसूफ बोला
“ठीक है जान ! तो भी चलती ट्रेन में चोद लो मुजको!” मैंने कहा
धीरे धीरे यूसुफ मेरे बूब्स दबाता रहा और मेरे होठ पीता रहा। कुछ देर बाद मैंने सरेंडर हो गयी और पूरी तरह से उस अजनबी लड़के युसूफ की बाहों में आ गयी और उसके इशारे पर नाचने लगी। युसूफ ने मेरी जींस की बटन खोल दी और अपना हाथ अंदर सरका दिया। कुछ देर में उसके हाथ ने मेरी चूत को ढूढ़ लिया। युसूफ मेरी पेंटी पर से मेरी चूत को छूने और सहलाने लगा। मेरी किस्मत अच्छी थी की बगल वाले डिब्बे में कई लोग बैठे थे, पर सब अपने अपने काम में मस्त थे। कोई अख़बार पढ़ रहा था, कोई अपने कान में लीड लगाकर गाना सुन रहा था। कई लोग तो लम्बा लम्बा हाक रहे थे और गप्पे मार रहे थे। इधर बगल वाले डिब्बे में मैं किसी छिनाल की तरह उस अजनबी हैडसम लड़के से चुदवाने वाली थी।
युसूफ के होठ मेरे होठो पर थे, उसका एक हाथ उपर से मेरे टॉप में घुसा हुआ था और मेरे बूब्स को जोर जोर से किसी टमाटर की तरह दबा रहा था और युसूफ का दूसरा हाथ मेरी जींस में घुसा हुआ था और मेरी चूत को सहला रहा था। बड़ी देर तक मैं युसूफ के साथ इश्कबाजी के मजे लुटती रही, फिर उन्नाव जंक्सन आ गया। वहां पर बहुत से समोसे वाले समोसा बेचने आ गये और हम दोनों को अलग अलग होना पड़ा। मैंने अपनी जींस की जल्दी से बटन लगा ली और टॉप ठीक कर लिया। कोई १० १२ मिनट बाद मेरी पेसेंजर ट्रेन फिर से चल पड़ी। युसूफ फिर से मेरे साथ छेड़छाड़ करने लगा।
“शाइना !! मेरी जान चल जल्दी से अपनी जींस निकाल दे!!” युसूफ बोला
तो मैंने उसकी बात मानते हुए अपनी जींस उतार दी। उस अजनबी युसूफ ने मेरी पेंटी उतार दी और ट्रेन की सिट पर मेरे मेरे पैर उपर कर दिए। युसूफ मेरी चूत पर आ गया और मजे से मेरी बुर पीने लगा। मुझे बहुत सुकून मिल रहा था दोस्तों।
“आह आह कितना मजा आ रहा है युसूफ!! चाटते रहो मेरी चूत! प्लीस चाटते रहो!” मैंने कहा तो वो अनजबी युसूफ मजे से मेरी बुर पीने लगा। फिर मेरी चूत में ऊँगली करने लगा। मेरी चूत की खुश्बू ने युसूफ को बिलकुल पागल कर दिया था। कुछ देर बाद उसमे मेरी चूत अच्छी तरह से पी ली थी।
“युसूफ !! मेरे यार अब मेरी चूत चाटना बंद करो और मुझे चोदने शुरू करो वरना लखनऊ स्टेशन आ जाएगा!! इसलिए तुम जल्दी करो और मुझे चोदो!!” मैंने युसूफ से कहा पर उस पर तो मेरी गुलाबी चूत का ऐसा नशा चड़ा था की मैं आपको क्या बताऊँ। वो अपनी लम्बी जीभ से मेरी बुर पी रहा था। जितनी तेजी से ट्रेन के पहिये पटरी पर दौड़ रहे थे, उतनी ही तेजी से उस अजनबी लकड़े युसूफ की जीभ मेरी गुलाबी चूत पर फिसल रही थी। उसको जाने क्या सुख मेरी बुर पीने में मिल रहा था। मेरी बुर में बिलकुल घुसा जा रहा था वो। उसके बाद उसने उझे ट्रेन की सीट पर लिटा दिया और अपनी पैंट उतार कर मेरी चूत में लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगा।
दोस्तों, आऊ आऊ ओह ओह माँ माँ उई उईईइ अई अई करने लगी। युसूफ मुझे घपा घप चोदने लगा। उसके मोटे और शक्तिशाली लंड ने मेरी बुर चीर के रख दी थी। मेरी छोटी सी चूत में उसका मोटा लंड बड़ी कायदे से फिट हो गया था। जैसे जैसे वो मेरी चूत चोदने लगा मुझे बिजली के झटके जैसे लगने लगे। मेरे शरीर के रोंगटे खड़े होने लगे। मुझे स्वर्ग जैसा लगने लगा। बहुत मजा मिलने लगा। मैं चाँद पर जैसे पहुच गयी थी। मेरे बदन में उपर से नीचे तक सनसनी होने लग गयी थी। वो ट्रेन में मिला अजनबी लड़का युसूफ मुझे मस्ती से चोद रहा था। जब मैं कराहने लगी और सिसकने लगी तो मेरे मुँह से तेज तेज आवाज निकलने लगी। युसूफ ने मेरे मुँह पर अपना मुँह रख दिया और मेरे होठ मस्ती से पीने लगा। इससे मेरी आवाज भी दब गयी। और मुझे जादा मजा मिलने लगा। और बगल वाले डिब्बे में बैठे लोग मेरी चुदने की आवाज भी नही सुन पा रहे थे। फिर मैं चुप गो हो गयी और शांति से उस अनजबी लड़के से चुदवाने लगी। वो अपनी कमर उठा उठाकर मुझे पेलने लगा। मेरी नाजुक चूत में उसका लंड बड़े आराम से अंदर बाहर होने लगा। दोस्तों, युसूफ तो मेरे लिए अजनबी था, पर उसका लंड अब मेरे लिए अजनबी न रहा और मेरी मुनिया रानी [मेरी चूत] से उसके लंड की जान पहचान हो गयी। युसूफ का लंड जोर जोर से मेरी चूत पर जोर जोर से ठोकर मारने लगा जैसे कोई गुस्सैल घोडा अपने पैर के खुर से मिट्ठी खोदकर रख देता है। मेरी तो बिलकुल जान ही निकली जा र ही थी। युसूफ बहुत शानदार तरह से मुझे ठोक रहा था। मैं तो जैसी अपनी जिन्दगी उन २० ३० मिनटों में जी ली थी।
युसूफ ने मुझे खूब चोदा उसके बाद भी वो आउट नही हुआ। मुझे तो लग रहा था की कहीं वो मेरी जान ही ना ले ले। इतने जोर जोर से धक्के मार रहा था युसूफ। फिर उसने मुझे बाहों में लपेट लिया और मेरे टॉप को उसने उपर खिसका दिया। मेरी छातियाँ उसे मिल गयी। उसने मेरे दूध में अपने मुँह में भर लिया और मजे से पीने लगा और निचे से मुझे चोदने लगा। आह !!! क्या बताऊँ दोस्तों, कितना मजा मिला उस समय मुझे। चूचियां पिलाते हुए चुदवाने में तो डबल मजा मिलता है। कुछ देर बाद युसूफ मेरे दूध पीते पीते ही मेरी चूत में झड़ गया। मैं चुदकर तृप्त हो गयी। उसके बाद हम दोनों एक दुसरे से प्यार करने लगी। ट्रेन अभी भी सरपट सरपट लखनऊ की तरफ दौड़े जा रही थी।
“आई लव यू अजनबी!!” मैंने कहा तो युसूफ ने मेरी खूबसूरत शीशे जैसी काली काली आँखें चूम ली
“शाइना जान !! जब कोई लड़की किसी अनजबी लड़के से चुदवा लेती है तो अनजबी नही रह जाती !! तुम तो अब मेरी माल बन चुकी हो!” युसूफ बोला
“….ठीक है …तो मुझे एक बार और चोद यार!!” मैंने युसूफ से कहा
फिर वो मुझसे अपना लंड चुसवाने लगा। दोस्तों, ये तो कहो की बगल वाले डिब्बे से कोई आदमी मेरी तरफ नही आया वरना तो हमारा खेल खत्म हो जाता। सब यात्री अपने अपने में मस्त थे। मैं युसूफ का लंड हाथ में लेकर जल्दी जल्दी उपर नीचे कर रही थी और मुँह में लेकर पी रही थी। काफी देर तक मैं उसका लंड पीटी रही। उसके बाद उसके मुझे दोनों घुटने मोड़ कर बिठा दिया और आगे की तरह किसी कुतिया की तरह झुका दिया। युसूफ ने मेरी चूत में अपना हाथ डाल दिया और एक बार फिरसे मेरी चूत में ऊँगली करने लगा। वो जल्दी जल्दी मेरी चूत में २ उँगलियाँ डालकर फेटने लगा। कुछ देर में मेरी चूत का झरना खुल गया और पिच्च पिच्च पानी मेरी बुर से निकलने लगा।
युसूफ को ये देखकर बहुत मजा मिला। फिर वो मुँह लगाकर पीछे से मेरी चूत पीने लगा और मजा मारने लगा। फिर उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे हचर हचर चोदने लगा। वो गहरे धक्के मेरी बुर में देने लगा। युसूफ जैसी मुझे पटक पटककर चोद रहा था। उसके धक्को से रेल की वो सीट हिलने लगी जिस पर हम चुदाई का सुख लूट रहे थे। वो ट्रेन की सीट भी चू चूं की आवाज करने लगी। फिर युसूफ जोर जोर से मेरे सफ़ेद उभरे गोल मटोल चूतड़ों पर चट चट हाथ से मारने लगा। वो मुझे मार मारकर चोदने लगा। कुछ देर बाद उसने दूसरी बार अपना माल मेरी चूत में खाली कर दिया।
दोस्तों, उस अजनबी लड़के युसूफ से चुदवाने के बाद हम दोनों से बड़ी फुर्ती से अपने अपने कपड़े पहन लिए। मैंने उसका काल नॉ ले लिया। फिर लखनऊ आने पर हम दोनों अपने अपने रास्ते चले गये। पर आज भी मैं उससे बाहर जाकर मिलती हूँ और युसूफ से होटल में चुदवाती हूँ। आपको ये कहानी कैसी लगी, अपनी कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दें।
Thank.s
मै A kumar
——————————
लेकिन एैैसा फिर कभी दुबारा नही करना नहि तो सामाज मे बेईजाति हो जाएगी तुमहारि शाईना
क्युकी तुम लडकी हो समाज मे ये करना गालात है।
ईसका परदा बनाया गाया है।
आैर रहा बात कारना नहि करना ये तो तुमहारे ऊपर डीपेनट करता है। क्युकी लडके तो अपना फायदा देखते है वो तो अजनाबि था अपने ईजत बचाते है वो अपने काम से मातलाब रखते है।
हु तो मै भी लडका लेकिन हाम समाझते हाय कि लडके कया होते है।
mast
Ufff harsh ahh kya tm ungli kroge hmari chut me
Mujhe do chance chut mein kya pure body mein electronic power na mile toh bolna
Pagal ho gai ti kya koi Dekh Leta to famous Ho jati train me Okk dubara nhi krna Esa Kabhi nhi to last me Rona hi padega Okk
Sabhi ko NASA chadta h pr control bhi Karna chahiye Okk byy
sahi hai ,cantorl karna har kisi ke bas me nahi hota hai…koi bat nahi ye to hota rahta hai
Kya bat h aise hi maza lo
nice
Very nice
I want sex
I want to sex