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मेरा नाम उर्मिला है। मैं एक जवान माँ हूँ। मेरी उम्र 38 साल है। शादी जल्दी हो जाने की वजह से बच्चा भी जल्दी हो गया था और फिर पति की मौत के बाद बेटे के अलावा मेरा कोई सहारा नहीं रहा। जमींदार घराने से हूँ राजसी ठाठबाट है। अपने पास ही रखकर मैंने बेटे को अच्छी शिक्षा दी। उसके बाद बारहवीं के बाद उससे दूसरे शहर में जाकर रहना पड़ा। कभी मैं अकेली नहीं रही थी। क्या बताऊँ दोस्तों एक महीने कैसे बीते उसके बगैर बस मुझे ही पता है। बड़ी हवेली और कोई नहीं। बस माली और एक नौकर जो की शाम को ही अपने घर चला जाता है।
कल की ही बात है। मेरा बेटा मुझे बताया नहीं की आ रहा हूँ। मैं सोची दिवाली के आपस आएगा पर दिवाली के एक सप्ताह पहले ही उसके कॉलेज में छुट्टी हो गई थी। एकाक क्लास था तो वो छोड़ दिया था। और बिना बताये ही वो आ गया। ट्रैन लेट रहने की वजह से वो करीब 10 बजे रात को पंहुचा। मैं खाना खा चुकी थी मैं गेट में ताला लगाने जा रही थी तभी वो मुझे गेट के बाहर दिख गया। मैं फुले ना समाई और अपने बेटे को गले गला ली। बोली तू बताया नहीं आनेवाला है मैं गाड़ी भेज देती तो वो बोला माँ मैं आपको सरप्राइज देना चाहता था इसलिए नहीं बताया।
दोस्तों संयोग की बात थी उस रात मैंने एक पतली सी नाइटी पहनी थी। अंदर ब्रा भी नहीं और पेंटी भी नहीं। मेरी चूचियां और निप्पल साफ़ साफ़ बाहर से दिखाई दे रहे थे। मेरे बाल खुले थे और उसी दिन मैंने फेसिअल की थी तो चेहरा चमक रहा था। जब अंदर आया मेरा बेटा तो वो रोने लगा और फिर से गले लग गया। मैं उसको अपने छाती में लगा ली सटा ली अपने सीने से। उसके पीठ को सहलाने लगी गाल पर किश करने लगने। माँ की ममता उड़ेलने लगी। पर सही कहा जाता है जब बेटा जवान हो जाये तो सोच समझ कर माँ को भी गले लगाने चाहिए। आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं कुछ ज्यादा ही बह गई थी मातृत्व में और अपने शरीर से लगा ली। एक तो ऐसे ही मैंने उस दिन गलत कपडे पहने थे। ऐसे कपडे में तो चाहे कोई भी रिश्ते में क्यों ना लगता हो उसका मन जरूर दोल जायेगा जब महिला का शरीर भरा पूरा हो चूचियां बड़ी बड़ी हो और गांड चौड़े और गोल चूतड़ का उभार हो। हुआ भी यही। मैं बोली छोडो चलो हाथ पैर धो लो खाना देती हूँ। तो उसने मना कर दिया मैंने ट्रैन में ही खा लिया था। और अब भूख भी नहीं है।
वो अपने कपडे बदल कर आ गया सोने का टाइम भी हो गया था। मैं बोली चल तेरा बेड लगा देती हूँ तो वो बोला क्यों आज मैं अपनी माँ के साथ नहीं सो सकता। माँ एक सप्ताह के लिए तो आया ही हूँ। मैं मना नहीं कर पाई और बोली ठीक है सो जा। फिर मैं बोली आती हूँ अपने कपडे बदल कर। तो वो मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला नहीं आप ऐसे ही सुन्दर लग रही हो। सच बताऊ तो हॉट लग रही हो। मैं बोली ऐसे बोलेगा अपनी माँ को? तो वो बोला आप खुद सोचिये अगर मैं ये बात किसी लड़की को बोलता और वो पट जाती और फिर कहती मेरे साथ रातें बिताओ और फिर कहती शादी कर लो और कहती की अपने माँ को छोड़ मेरे साथ रहो। तो ??????
दोस्तों मैं तो उसके बातों से डर गई सोची एक ही सहारा है मेरा और अगर सच में ऐसा हो गए तो क्या होगा मैं तो जीते जी मर जाउंगी मेरा और कोई नहीं है। मैं बोली चल हट ऐसी बात करने में शर्म नहीं आती जो माँ तेरे लिए जान छिड़कती है और ऐसे बोलेगा तू। और मैं उसको गले से लगा ली। अब मेरा मन बदल गया था अपने बेटे को छूटने से बचाना था। मुझे लगा की चाहे वो मुझे ही चोद ले पर किसी और के चक्कर में नहीं पड़े।
और फिर मैं अपने सीने से लगा ली और गाल पर किस करने लगी पर उसके इरादे नेक नहीं थे वो मेरे होठ पर अपना होठ रख दिया और मैं अपना सर निचे झुका ली। वो मेरे फेस को उठाया और फिर से मेरे होठ पर अपना होठ रख दिया और हलके हलके किश करने लगा। वो कामुक होने लगा और फिर मेरे होठ को चूसने लगा अपना जीभ मेरे मुँह में देने लगा और अपने सीने से लगाने लगा। मैं छिटक कर अलग हो गई और दूसरी तरफ घूम गई। वो मुझे पीछे से पकड़ लिया दोनों हाथ आगे किया और मेरी दोनों चूचियों पर हाथ रख कर दबाने लगा और पीछे से मेरे गाल पर दांत काटने लगा. मेरी गांड उसके लंड से टकरा रही थी। मैं फिर एक झटके से घूमी और फिर उसके होठ को चूसने लगी
वो मेरी गांड को सहलाने लगा मेरे पीठ पर हाथ फेरने लगा मैं दोनों हाथ से उसके गाल को पकड़ पर होठ चूसने लगी। और फिर क्या बताऊँ दोस्तों उसने मेरी नाइटी उतार दी और फिर एक साथ ही बेड पर गिर गए। उसने तुरंत ही तेरे टांगो के बिच में बैठ गया और मेरी चूत को निहारने लगा। वो उँगलियाँ डालने लगी मेरी सिसकारियां निकलने लगी। वो ऊपर आकर फिर मेरे बूब्स को पिने लगा वो वाइल्ड हो गया था उसको समझ ही नहीं आ रहा था क्या करूँ पहले ऊपर से निचे आ जा रहा था। आखिर कार मैं आगे बढ़ी और उसके लंड को पकड़ ली और मूठ मारने लगी फिर मैं अपने मुँह में ले ली।
वो सिकरियाँ निकालने लगा और कहने लगा माँ मैं आपको कभी भी नहीं छोडूंगा। ज़िंदगी भर बिना शादी के रह सकता हूँ। बस आपका साथ चाहिए। और फिर वो निचे गया और अपना लौड़ा चूत के छेद पर लगाया और पेल दिया मेरी चूत काफी गीली हो गई थी इसलिए लंड आराम से अंदर चला गया। अब दोस्तों उसने जोर जोर से धक्के देने लगा। मैं चुद रही थी वो हरेक धक्के पर आह आह आह कर रहा था और हरेक धक्के पर मैं उफ़ उफ़ उफ़ करती। गजब का माहौल था कमरे में।
चूत और लंड में जब मिलन हो रहा था तो गच गच फच फच की आवाज आ रही थी। हम दोनों पसीने में आ गए थे क्यों की मैं वर्षों बाद चुद रही थी और मेरा बेटा अनाड़ी थी। फिर भी वो एक्सपर्ट की तरफ चोद रहा था।
उसके बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ने लगी उसका सांस बंद होने लगता तब हट जाती मेरी चूत का पानी उसके मुँह पर लग गया था फिर मैं निचे हुई और उसका मोटा लंड अपने चूत में लेकर चुदवाने लगी। कभी घोड़ी बनाकर कही खड़े कर के कभी निचे कभी ऊपर दोस्तों रात भी एक दूसरे को खुश कर रहे थे।
शायद मुझे अब बैगन से चुदाई नहीं करनी पड़ेगी। पता नहीं आगे क्या होगा। इस रिश्ते का क्या नाम दूंगी ये भी नहीं पता। आगे जो भी होगा मैं नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरूर बताउंगी।