दोस्तों, अभी तक आप लोगों ने जाना की मैंने कैसे मन्दाकिनी को पेला। कैसे मन्दाकिनी को देकर मैंने गीता को पेला। फिर आप लोगों ने पढ़ा की कैसे प्रकाश ने मन्दाकिनी को सजाकर रंडियों को तरह पेला और उसकी साथ सुहागरात मनाकर उसकी पलंगतोड़ चोदाई की। अब आगे…
वैसे तो लखनऊ शहर में हजारों लौंडियाँ थी। हजारों अपने आशिक़ों से पेलवाती थी। पर मुझे तो सिर्फ मन्दाकिनी से मतलब था। 3 साल से मन्दाकिनी को पेल पेल कर मैंने उसके चुच्चे बड़े कर दिए थे। उसकी खूबसूरती में दिन पर दिन निखार आता जा रहा था। वो निकलती थी तो अलीगंज के सारे लौंडे उसको देखकर अंगड़ाई भरते थे। पर मन्दाकिनी किसी लौड़े को लिफ्ट नही देती थी। वो आँखे निचे करके निकलती थी और आँखे निचे करके की वो घर लौटतीं थी। पर मैं ही मन्दाकिनी की असलियत जानता था। उसने कितने कर्म और कितने कुकर्म किये थे सब मैं जानता था।
इसी समय एक बुरी खबर आई। मन्दाकिनी के 2 पेपर बिल्कुल ख़राब हो गए। उसकी मम्मी मेरे हाथ पाये पड़ने लगी की किसी तरह लड़की को बीकॉम पास ओर दूँ वरना उसकी शादी नही होगी। मैं मन्दाकिनी को प्यार तो करता ही था इसलिए मुझे ही दौड़ना ना। लखनऊ विश्विद्यालय की परीक्षा खत्म हुई। मैंने पता लगाया की मन्दाकिनी की कॉपी आगरा यूनिवर्सटी गयी है। जुगाड़ पानी करके मैं उस अधिकारी के पास गया। उससे कहा की मेरी बहन का पर्चा ख़राब हो गया है। उसको पास करदूं। प्रोफेसर गुप्ता बोले की 20 हजार एक पर्चे में पास करने के लगेंगे। वो खुद मन्दाकिनी की राइटिंग में किसी से कॉपी लिखवाएंगे। फिर पास करेंगे। यानि 2 पर्चे पास करने के 40 हजार।
प्रोफेसर साहब मैं बहुत गरीब घर से हूँ। पिताजी को कैंसर ही है। देल्ही से 4 सालों से इलाज चल रहा है। मैं हाथ जोड़कर प्रोफेसर गुप्ता के सामने रोने लगा। उनको दया आ गयी। प्रोफेसर साहब ने मेरे कान में कुछ धीमे से कहा। उन्होंने चुपके से कहा की अगर मैं उन्हें 3 दिनों के लिए कोई जवान कमसिन काली पेश कर दू तो वो मन जाएंगे और मन्दाकिनी को पास कर देंगे अच्छे नंबरो से।
मैंने मन्दाकिनी को फ़ोन लगाया और सारी बात बताई। मन्दाकिनी की माँ तो बड़ी मुश्किल से 8 10 हजार का जुगाड़ कर सकती थी। 40 हजार तो नामुमकिन बात थी। मैंने मन्दाकिनी को बताया की कोई चारा नही है। उसे प्रोफेसर से चुदना ही होगा। हलाकि मन्दाकिनी का कोई मन नही था। एक 60 साल के आदमी से चुदना उसे जरा भी नही अच्छा लग रहा था। पर वो मज़बूर थी। अगली सुबह मन्दाकिनी ट्रेन पकड़ आगरा आ गयी।
मैं उसे लेकर प्रोफेसर गुप्ता के पास पंहुचा। उनकी नजरे मन्दाकिनी के मम्मो पर टिक गयी।
कौन है ये? उन्होंने पूछा
यहीं आगरे की है। बाजार से लाया हूँ मैंने बताया मैंने प्रोफेसर को नही बताया की ये कोई और नही मन्दाकिनी है। क्योंकि मन्दाकिनी को मैंने अपनी बहन बताया था। प्रोफेसर कहते की अपनी बहन को ही चुदवा रहे हो।
ठीक है इसे छोड़ जाऊ। 3 दिन बाद आ जाना उन्होंने कहा
मैं मन्दाकिनी को एक कोने में ले गया। देख जो भी प्रोफेसर कहे करना। नंबर लेना है तो करना ही होगा। मैं आगरे में ही एक होटल में रुक गया। पहली रात प्रोफेसर का खड़ा ही नही हो रहा थे। उनके सारे बाल पके थे। छाती के सारे बाल पके थे। प्रोफेसर साहेब ने मन्दाकिनी को नंगा की। उसके स्वस्थ गोल 2 बड़े 2 मम्मे देख उनका मॉल निकल गया। फिर उन्होंने मन्दाकिनी से बार में जाकर व्हिस्की का गिलास बनाने को कहा। मन्दाकिनी ने एक बड़ा सा जाम तैयार किया। उन्होंने मन्दाकिनी के मम्मे पिए और व्हिस्की से वियाग्रा खाई।
प्रोफेसर साहेब ने की पत्नी कब की गुजर चुकी थी। बेटे विदेश में सेटल हो गए थे।
चल नाच के दिखा प्रोसेसर साहेब बोले। मन्दाकिनी अपने कुलहे मटकाने लगी और नाचने लगी। प्रोफेसर साहेब धीरे 2 कांच के ग्लास से व्हिस्की पिने पगे। उन्होंने साउंड पे गाना चला दिया।
मन्दाकिनी बिलकुल नंगी होकर नाचने लगी। वो नाचने में बहुत पारंगत थी। प्रोफेसर साहेब जिंदगी ला लुफ्त लेने लगे। नाचते 2 वो अपनी दुनिया में ही खो गयी। प्रोफेसर साहेब मस्त हो गए।
बस कर अब चूत दे लड़की प्रोफेसर बोले।
अपने बाप की उमर के आदमी को देखकर मन्दाकिनी संकोच करने लगी। पर प्रोफेसर साहेब को अपने 40 हजार वसूल करने थे। उन्होंने उससे कहा की उनकी झांटे बना दे। मन्दाकिनी उनकी झांट बनाने लगी। उनकी बड़ी लम्बी 2 झांटे थी। सबसे पहले मन्दाकिनी ने एक छोटी कैची से उनके बाल काटे। फिर ब्रश से फोम बनाया फिर झांटे बनायी।
प्रोफेसर की झांटे साफ हो चुकी थी। गोलियों के बाल भी उसने बनाये। प्रोफेसर ने कहा की पहले वो उनका लौड़ा चूस 2 के खड़ा कर दे। मन्दाकिनी ने लण्ड चूसन सुरु किया। जैसा मैंने उस रांड को समझाया था रण्डी बिलकुल उसी स्टाइल में प्रोफेसर के लौड़े को चूस रही थी। 3 साल तक मुझसे पेलवाने के बाद रंडी हर काम में बहुत एक्सपर्ट हो गयी थी। मन्दाकिनी जल्दी 2 अपना सर लेते हुए प्रोफेसर के लौड़े पर कर रही थी। उसके हाथ मोटे लौड़े पर चारो ओर गोल 2 नाच रहे थे। और वो प्रोफेसर के सुपाड़े से मन्जन कर रही थी।
इस लौड़े से प्रोफेसर से अपनी बीवी को खूब चोदा था। साला प्रोफेसर बेटीचोद था। अपनी 2 कमसिन बेटियों की भी बुर फाड़ता था। यही वजह थी की उसकी बीवी अपनी लौंडियों को लेकर चली गयी थी। वो नही चाहती थी की प्रोफेसर और बेटीचोद हो जाए। और आज किस्मत से मन्दाकिनी इस 60 पुराने लौड़े को खाने वाली थी। उसका लण्ड अभी तक कई बुर में गया था पर आज भी बहुत मासूम लगता था।
लण्ड चूसते 2 धीरे 2 प्रोफेसर का लण्ड खड़ा हो गया और जब खड़ा हुआ तो मन्दाकिनी की गांड फट गयी। लण्ड 12 इंच लंबा था। बिलकुल अफ्रीका के निग्रोस जैसा। सच बात ये थी की 3 सालो तक चुदने के बाद आज भी मन्दाकिनी की बुर बिलकुल कुवारी और फ्रेश लगती थी। आज भी उसकी बुर टाइट थी। प्रोफेसर का लौड़ा आगे से निचे की ओर झुका हुआ था। उन्होंने मन्दाकिनी की बुर के छेद पर लौड़ा रखा।
मन्दाकिनी अपने बाप की उमर के आदमी से सम्भोग करने में सनकोच कर रही थी। उसको बार 2 अपने पापा याद आ रहे थे। वो शर्मा भी रही थी। उसने शर्म से अपने हांथों से अपने चेहरे को छुपाये थी।
अरे बेटी शर्माओ मत प्रोफेसर साहेब बोलो
मन्दाकिनी सोच में पढ़ गयी की प्रोफेसर साहेब एक तो उसे बेटी बोले रहे है और दूसरी ओरे उसकी इज्जत लूटना चाहते है। वैसे मन्दाकिनी के पास इज़्ज़त थी कहा। रंडी को मैंने और प्रकाश ने रंडियों की तरह चोदा था। अब प्रोफेसर सबिह उसकी बुर मारने वाले थे।
देखो बेटी मैं भले ही बाप की उम्र का हूँ पर तुझे जवानी के मजे तो दे ही सकता हूँ। बेटी जिंदगी में कुछ नही रखा। खाओ पियो और ऐश करो! वे बोले और लण्ड मन्दाकिनी की बड़ी प्यारी सी फ़ुद्दी में उतार दिया। 12 इंच का लौड़ा आज तक मन्दाकिनी ने कभी नहीं खाया था। प्रोफेसर के लौड़े ने हट्टी कट्टी मन्दाकिनी की चूत के एक एक इंच को कवर कर लिया। जरा भी जगह खाली नही बची। आज ये पहली बार था की मन्दाकिनी की बुर गुझिया की तरह भरपूर भर गयी थी। आप उसके पिताजी ही उसको रंडियों की तरह चोदने वाले थे।
मन्दाकिनी से अपने हाथ जरा से हटाये और प्रोफेसर से नजरे मिलायी। प्रोफेसर ने पेलाई सुरु कर दी। एक दो तिन…चार….और फिर मन्दाकिनी गिनती ही भूल गयी। प्रोफेसर निचे से अपनी बड़ी सी गांड उठा उठकर उसे चोद रहे थे ऊपर उसके माथे पर पड़े प्यार से किस कर रहे थे और उसे बेटी 2 बोल रहे थे।
कितना बड़ा मादरचोद है साला। इसका बस चले तो अपनी माँ को भी पैदा होते ही चोद लेता। मन्दाकिनी सोचने लगी। प्रोफेसर साहेब ने उसके हाथ उसके चेहरे से पुरे हटा दिए और उसके आँखों को बड़े प्यार से चूमा। मन्दाकिनी अब उसको अपना बाप नहीं अपना भतार मानने लगी। फिर प्रोफेसर साहेब उसके गुलाबी रसीले ओंठों को पिने लगे।
मन्दाकिनी अब प्रोफेसर सबिह से खुल गयी। उसने अपने हाथ ऊपर कर लिए। और प्रोफेसर को खुलकर चोदने की दावत देने लगी। प्रोफेसर साहिब की लार चुई जा रही थी एक 21 साल की लौंडिया पाकर। मन्दाकिनी को मैंने 18 साल की उम्र से चोदना शूरू किया था। अब रांड 21 साल की थी। मैंने सोच लिया था की मैं ही इस रण्डी से शादी करूँगा। क्योंकि मैंने ही इस मादरचोद की नथ उतारी थी। मन्दाकिनी मेरे दिल में बसती थी। मैंने फैसला कर लिया था मैं मन्दाकिनी से शादी करूँगा और बुढ़ापे तक इसको चोदूंगा।
प्रोफेसर खूब कायदे से मन्दाकिनी के ओंठ पिने लगे। मन्दाकिनी भी प्रोफेसर के ओंठ पिने लगी। व्हीस्की की महक मन्दाकिनी की नाक में बस गयी। पर चुदाई में उसे उसे जादा दिक्कत ना हुई। वो गहरी 2 सांसे भरने लगी। मन्दाकिनी की खुसबू से प्रोफेसर भीग गए। मस्त चोदन होने लगा। ढाई घण्टे तक वो मन्दाकिनी को चोदते रहे।
वो अपना लौड़ा निकालते और मन्दाकिनी को चुसाते। फिर उसकी बुर चाटते। 3 दिन तक प्रोफेसर ने मन्दाकिनी को चोदा। सुबह वही उठकर प्रोफेसर के लिए चाय बनाती थी। उनको अपने हाथों से पिलाती थी।
जब रिजल्ट आया तो पता चला म्मदकिनी के 80 परसेंट नम्बर आये थे। उन्होने चलते समय मन्दाकिनी को 10 हजार की गड्डी दी थी। प्रोफेसर से उसकी गांड नही मरी थी। क्योंकि उसमे उसको अपनी बेटी दिखती थी। हाय रे ये मादरचोद तो बेटीचोद निकला मैंने सोचा। मन्दाकिनी ने साड़ी कहानी बताई। मैं प्रोफेसर के बड़े से बंगले में मन्दाकिनी के चोदन के दृश्य की कल्पना करने लगा।
अभी हम लोगो के पास पैसे से वो मन्दाकिनी की चुदाई वाले 10 हजार। मैं उसके हाथ शॉपिंग गया। कपड़े लिए, सलवार कमीज ली, सैंडल्स ली, फेसिअल किट, क्रीम, फेयर एंड लवली, लिपस्टिक और स्टेफ्री के 10 पैकेट। 7 हजार कहाँ गायब हो गए पता ही नही लगा। वो मन्दाकिनी को एमसी में भी चोदता था कंडोम पहन के और बिना कंडोम के जब वो नार्मल होती थी।
हम लोगो ने प्लान बनाया चिकेन खाने चलेंगे। रांड को लेकर मैं मैं भाई भाई चिकेन शॉप पंहुचा। हम लोगों ने जमकर बटर चिकन, कढ़ाई चिकन, तन्दूरी चिकन खाया।
ए रशीद! मैं प्रकाश से बहुत दिनों से नही मिली मन्दाकिनी बोली।
मैं जान गया रंडी फिर से प्रकाश का लण्ड खाना चाहती है।
मन्दाकिनी ! मेरे पास एक बढ़िया प्लान है। क्यों ना प्रकाश को मैं अपने घर बुलाऊ और हम दोनों एक साथ तेरे साथ सुहागरात मनाये?? मैंने पूछा
मन्दाकिनी सोच में पढ़ गयी। मैं सोचा की कहीं छिनार मना न कर दे। फिर उसने हाँ कर दी।मैं मन ही मन प्रकाश के साथ छिनार को चोद्ने के सपने देखने लगा।
इन दिनों मैं अपनी दुनिया में डूबा था। अल्लाहताला ने कितनी कमाल की दो चीजे बनायीं है। एक बुर और एक लौड़ा। कितनी कमाल की चीज होती है ये। एक बुर को चाहे जितना भी चोद लो फर्क नही पड़ता। एक लौड़े से चाहे जितना भी चोदवा लो कोई फर्क नही पड़ता। अगर ये 2 चीज उपरवाले ने ना बनायीं होती तो मैं कैसे मन्दाकिनी को रण्डियों की तरह चोदता। किस तरह उसको एक छिनार, आवारा और वेश्या बनाता।
अगर ये 2 चीजे ना होती तो कैसे लौंडे झाड़ियों में लौंडियाँ चोदते। मैं उपवाले का महरबान था। एक बुर अपनी लाइफ में कितनी हजार बार चुदती होगी। एक गांड अपनी पुरी लाइफ में कितनी बार मारी जाती होगी, मैं ये सारी बातें बड़े मजे लेकर सोचने लगा। मेरी प्यारी छिनार मन्दाकिनी अपनी पूरी लाइफ में कितने मर्दों का पेहलर लेगी और अपनी पूरी लाइफ में मन्दाकिनी कितनी हजार बार कहाँ 2 चुदेगी। मैं सोचने लगा।
मुझे ये सारी गन्दी बातें सोचते हुए बड़ा मजा आ रहा था। फिलहाल तो मुझे और प्रकाश को मन्दाकिनी के साथ सुहागरात माननी थी। मेरे अब्बू और अम्मा 1 महीने के लिए हज करने चले गए थे। इसलिए मैं और प्रकाश अब मन्दाकिनी के साथ सुहागरात मना सकते थे। पर हमको ये दिन में ही माननी थी। प्रकाश को काल कर दिया। मन्दाकिनी अपने घर से कॉलेज जाने के लिये निकली और सीधे मेरे घर आ गयी।
मैं फुलबजार से ढेर सारे गुलाब की माला ले आया। गुलाबो से मेरा कमरा महक उठा। मैंने सुहागरात का कमर सजाया। ढेरो गुब्बारे दीवारो पर लगाये। अपने सफ़ेद बेड पर मैंने गुलाब की पंखुड़ियों से दिल बनाया। प्रकाश 10 बजे तक पहुच गया। वो अपने साथ ढेर सारे पैन मसाला, गुटका, सिगरेट की डिब्बिया और बियर भी लाया था। साथ में व्हिस्की की बोतले भी ले आया था।
पार्टी की सारी तैयारी हो चुकी थी। मन्दाकिनी ने मेरी अम्मा की शादी वाला लाल रंग का शादी का जोड़ा पहन लिया। और जब वो बाहर निकली तो हूर की परी लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे अभी 2 उसकी शादी हुई हो। हम दोनों के मुह में अपनी आ रहा था। मन्दाकिनी से लाल रंग का जोड़ा पहन रखा था। प्रकाश तो अक्सर दाड़ी में ही रहता था पर आज मन्दाकिनी के चोदन के लिए लौंडा बनकर आया था। प्रकाश ने मुझे काल करके पूछा था की उसका नसीम भी मन्दाकिनी के गैंग बैंग में सामिल होना चाहता था पर मैंने तुरंत मना कर दिया।
प्रकाश! क्यों तू अपनी गीता को किसी को भी चोदने के लिये दे देता है?? मैंने रूठकर पूछा
नहीं वो बोला
देख मैं मन्दाकिनी से शादी करूँगा। भले ही ये छिनार है पर मैं इस रांड से ही प्यार करता हूँ। तुझे इसलिए बुलाया की मन्दाकिनी तुझे पसंद करती है।
फिर पेलाई सुरु हुई। हम एक बड़ा प्यारा गेम खेलने लगे। मैं और प्रकाश बेड पर एक ओर बैठ गए। बीच में हमने पर्दा लगा दिया। एक झीना पर्दा। मन्दाकिनी लाल जोड़ा पहन उस पार बैठ गयी।
मन्दाकिनी क्या तुम्हे मोहम्मद रशीद के साथ सुहागरात मनाना काबुल है?? प्रकाश ने पूछा
काबुल है …काबुल है……काबुल है….मन्दाकिनी बेहद सीरियस होकर बोली। लग रहा था जैसे मेरा सच में निकाह हो रहा है।
फिर मैंने पूछा मन्दाकिनी क्या तुमको प्रकाश राज के साथ सुहागरात मनाना काबुल है?? मैंने पुछा।
कुछ देर तक मन्दाकिनी कुछ ना बोली। मुझे लगा की उसका इरादा बदल गया।
काबुल है….काबुल है…काबुल है… वो 10 मिनट बाद बोली।
हमारी खुसी का ठिकाना ना था।
मैंने प्रकाश से कहा की पहले कौन सुहागरात मनाएगा?? प्रकाश बोला टॉस करते है। टॉस हुआ और प्रकाश जीत गया। मैं पर्दे के इस तरफ था। पर्दा झीना था। मैं यहीं बैठकर इस कुतिया की चुदाई देखूंगा। मैंने सोचा। मैं मन्दाकिनी को बहनचोद से लेकर मादरचोद, कुतिया , रंडी, छिनार , आवारा, सारी गलियां देता था पर प्यार भी बहुत करता था। मैं ऐसा ही था।
प्रकाश ने मलमल का एक झक सफ़ेद नील किया कुर्ता पहन रखा था। प्रकाश परदे के पार चला गया। मैं बैठकर चुदाई का इंतजार करने लगा। पहले तो आधे घंटे तक चुम्मा चाटी चलती रही। मुंझे नींद आने लगी। करीब एक घण्टे बाद प्रकाश ने आवाज दी ए रशीद उठो!! हमारी चुदाई शूरू होने वाली है। मैं आँखें मिंजकर जागा।
प्रकाश मन्दाकिनी के बड़े 2 मम्मे पीने लगे। मैंने होश सम्हाला। प्रकाश का बस चलता तो मन्दाकिनी के रस भरे मम्मो को एक साथ पिता, पर मजबूर था। वो मुँह में भरकर मन्दाकिनी के मस्त मम्मे पिने लगा। मन्दाकिनी बुर से गीली होने लगी। मेरी नींद ख़त्म हो गयी थी। बिना देर किये प्रकाश मन्दाकिनी की अग्नि बुझाने लगा।
ए रशीद! देखो यहाँ 3 टिल है प्रकाश बोला।
कहाँ मैंने पूछा
इस कुतिया की भंगाकुर के ठीक ऊपर! प्रकाश बोला
मैं कितना बड़ा गाण्डू हूँ इस रण्डी को 3 सालो से पेल रहा हूँ और आज तक मैं उन 3 तिलों को देख ही ना पाया। मैं खुद को कोसने लगा। मन्दाकिनी की बुर की भंगाकुर के ठीक पुर ये 3 तिल थे।
प्रकाश मन्दाकिनी की फुद्दी मारने लगा। मैं पर्दे के इस पार था। मेरे घर में और कोई ना था। सारे खिड़की दरवाजो को मैंने बन्द कर दिया था की कहीं कोई हमारी सुहागरात ना देख ले। पहले प्रकाश से मन्दाकिनी को बेड पर टंगे खोल कर चोदा। फिर उसको कुतिया बना दिया दिया और खूब चोदने लगा।
ऐ रशीद ये पर्दा वार्ड हटा और यहाँ आ जा प्रकाश बोला।
मैंने वो झीना पर्दा निकाल दिया। किसी लौंडिया को साथ में खाने का जो मजा है वो अकेले में नहीं है।
मैं मन्दाकिनी के आगे गया और 9 इंच के मोटे लौड़े को मैंने उस रंडी के मुँह में दाल दिया। और पीछे से प्रकाश इस आवारा की बुर मारने लगा। मन्दाकिनी अपने रसीले होठों से मेरा हट्टा कट्टा लौड़ा चूसने लगी। और रांड पीछे से अपनी चूत मरवाने लगी। मैं बता नहीं सकता दोस्तों कितना मस्त सीन था। कभी मिल बाटकर किसी लौंडिया को फाड़ना। अल्लाह कसम मजा आ जाएगा।
प्रकाश आज इस आवारा को रंडी बना देंगे। मादरचोद डबल 2 लण्ड चाहती है। और प्रकाश ने खूब जोर 2 से मन्दाकिनी के बड़े 2 पुठों को चांटे मार 2 के लाल हो गया। चट! चट! चट! की आवाज से कमर गूंज गया। मन्दाकिनी को दर्द को बड़ा हुआ होगा पर लम्बा 2 लौड़ा खा रही थी, इसलिए बर्दास्त कर गयी। मैं चाटों की मार से बड़ा खुश हूँ। मैं अपने हाथ उसके कानों पर रखे और जोर 2 से उसका मुँह चोदने लगा।
डबल लण्ड खाएगी हरामजादी! तेरी तो मैं माँ चुदवाऊँगा। रण्डी कहीं की।।……कीड़े पड़ेंगे रंडी तेरी बुर में।। मैंने गुस्साकर कहा और 8 10 तमाचे मैंने भी मन्दाकिनी के दोनों गालों पर जड़ दिए। मन्दाकिनी रोने लगी। पर मुझे और प्रकाश को तरस नही आया। हम हैवान बन चुके थे। बिलकुल राक्षस! मन्दाकिनी के बाल बिखर गए। वो बहुत जोर 2 से रोने लगी। कोई भी लौंडियाँ अब मार खाकर तो चूत नही देगी।
प्रकाश रांड को गचा गच्च पेलता रहा। वो गहरे और गहरे धक्के मारने लगा। मन्दाकिनी की बुर का भोसड़ा बना जा रहा था। प्रकाश मन्दाकिनी की बुर की सबसे दूर दिवार को छु रहा था। मैं तो साली के मुँह को ही चोदे जा रहा था।
चुप रंडी चुप! अगर आवाज बाहर गयी तो तेरी बुर तो चाकू मार दूंगा हरामजादी। दुबारा कभी किसी से चुदवाने के बारे में नहीं सोचेगी। मैंने मन्दाकिनी के बाल पड़ककर कहा। वो सिसकियाँ लेने लगी। अब उसकी आवाज बन्द थी, सिर्फ आँशु ही निकल रहे थे। मुझे और प्रकाश को इस तरह रांड को मार मार कर चोदने में बड़ा मजा आ रहा था।
ऐ रशीद इधर आ। इस हरामिन की बुर में अपना खुटा गाड़ दे। मैं साली की गांड मारता हूँ। रंडी की चूत और गांड एक साथ मरते है। सच में प्रकाश के कितना दिमाग था। मैं झट से मन्दाकिनी के पीछे आया। हमने अपनी कुतिया को हटाया। मैं बेड पर लेट गया पीठ के बल लौड़ा खड़ा करके। मन्दाकिनी की गांड पर प्रकाश ने एक छपट लगायी और हमारी कुतिया अपने आप सब कुछ समझने लग गयी। मन्दाकिनी मेरे ऊपर लेट गयी मेरे लौड़े को अपनी बुर में खोंसकर। प्रकाश से शिशि से तेल निकाला और खूब सारा मन्दाकिनी की गांड के सुराख़ में डाला और फिर क्या था।
गच्च से पेल दिया रण्डी की गांड में। मन्दाकिनी की आँख में एक बार फिर से आँशु आ गए। पर डर के मारे वो रोइ नही सिर्फ सिस्कार लेती रही। मन्दाकिनी छिनार की डबल चुदाई शूरू हुई। उसके भोसड़े का छेद तो मैंने साली को चोद छोड़कर ढीला कर दिया था पर मादरचोद की गांड बड़ी टाइट थी। प्रकाश ने चोदन सुरु किया। माँ का लौड़ा चला ही नहीं पा रहा था। लग रहा था की बहनचोद किसी कीचड़ वाले खेत में हल चला रहा था ताकि धान की फसल बोई जा सके।
सच तो ये था की 3 साल के दौरान मैं अपनी कुतिया को चोद ही नहीं पाया था। जब पास आती थी उसकी चूत ही मरता था। गांड कम ही मारी थी।
यार रशीद! तू लौंडियों की गांड नहीं मार पाता है, देख मादरचोद का छेद अब भी कितना टाइट है। जरा सा भी बड़ा नहीं कर पाया तू साले प्रकाश बोला।
मुझे अपनी बेईज्जती महसूस होने लगी। मैं बुरा मन गया।
तो गाण्डू! तू ही गांड मार ले छिनार की। देखता हूँ तो इस छिनार का छेद कितना बड़ा कर लेड। अबे गाण्डू तेरा लण्ड उखड़ जाएगा पर इस कुतिया की गांड का सुराख तू बड़ा नही कर पाएगा। मैंने प्रकाश से कहा।
प्रकाश ताव में आ गया।
अरे इसकी माँ की.. देख अभी इसका सुराख खोल रहा हूँ। प्रकाश बोला और उसने अपनी बिचवाली ऊँगली पूरी पेल दी गांड में। मण्डस्किनी की गांड फट गयी और खून निकलने लगा। वो छटपटाने लगी। कुछ देर तक गांड में ऊँगली चलने के बाद प्रकाश ने 2 उँगलियाँ पेल दी रंडी की गांड में।
अरे भाई साहेब, रांड की गांड फट गयी। और खून निकलने लगा। बहनचोद कही ये मेरी मॉल को मार ना दे। मेरी भी गांड फट गयी खून देखकर। वैसे भी खून देखकर तो अच्छे अच्चों की फट जाती है। प्रकाश साला जल्दी 2 गांड के सुराख़ में दोनों उँगलियाँ चलाने लगा। मन्दाकिनी की गांड का सुराख़ इतना बड़ा हो गया की 2 2 लण्ड एक साथ चला गया। मन्दाकिनी छटपट छटपट करने लगी।
मैं मरजाऊंगी! मैं मरजाऊंगी वो चिल्लाने लगी।
पर प्रकाश ने उसकी एक ना सुनी। 20 मिनट तक तो प्रकाश राण्ड की गांड में उँगलियाँ चला चलाकर ढीला करता रहा। जब छेद ढीला हो गया तो प्रकाश से अपना लौड़ा मन्दाकिनी की गांड में पेल दिया और मजे से गांड चोदन करने लगा।
ऐ रशीद चल बुर चोद साली की वो बोला।
मैं बुर चोदने लगा और प्रकाश। पट पट की मधुर आवाजों से मेरा कमर गूंज गया। आज मेरा कमरा पवित्र हो गया। हम दोनों मन्दाकिनी की एक साथ चुदाई करने लगे।
हुँ…. हुँ… करके मन्दाकिनी रोइ जा रही थी।
हाय मम्मी! हाय मम्मी!….करके वो रोइ जा रही थी!
हम लोग मजे से अपनी कुतिया को बजा रहे थे।
संयुक्त चोदन का मजा ही अलग है दोस्तों! कभी करके देखना। मजा आ जाता है। प्रकाश का लौड़ा मैं आवारा की बुर में महसूस कर रहा था। वही प्रकाश भी मेरा बड़ा सा लौड़ा कुलटा की बुर में महसूस कर रहा था। पक पक पक पक हम दोनों साली को पेले का रहे थे। एक साथ जब 2 तगड़े 2 लौड़े मन्दाकिनी की बुर और गांड में जाते थे तो उसे साँस नहीं आती थी। जब हमारे लौड़े बाहर आते थे तो उसको जरा ही साँस आती थी। और हम तुरन्त ही अपने 2 लण्ड फिर पेल देते थे।
मन्दाकिनी की बुर और गांड के छेद अब पुरे 2 खुल गए थे। ये नजारा कमाल का था दोस्तों। मैं यकीन से कह सकता हूँ की आप लोगों की लार चू रही होगी। ऐसा नजारा मैंने आजतक नही देखा था। आगरे का ताजमहल और दिल्ली का लाल किला देखने से भी अच्छा दृश्य था ये। इसलिए मेरी आप लोगो से गुजारिस है की कभी किसी लौंडियाँ को गैंग बैंग में पेलना। मजा आ जाएगा।
खून की बूंदों जो मन्दाकिनी की गांड से बह रही थी उसे प्रकाश से सफ़ेद टॉवल से पोछा। हम लोग साली का चोदन करते रहे। करीब 50 मिनट बाद हम लोगो ने मॉल चोदा। प्रकाश ने मन्दाकिनी की गांड से अपना शक्तिशाली लौड़ा बाहर निकाला और मन्दाकिनी के मुह में पिचकारी चोद दी। मन्दाकिनी का पूरा चेहरा प्रकाश के सफ़ेद वीर्य से चुपड़ गया। मैं भी आऊट गो गया। मैंने मन्दाकिनी की बड़ी 2 गोल 2 चुचों की काली निपल पर अपना मॉल गिरा दिया।
रशीद बहनचोद ये देख प्रकाश ने मन्दाकिनी की गांड के सुराख को दिखाया। सुराख़ अच्छा खासा बड़ा हो गया था। ऐसा छेद तो 1 साल की चुदाई में बड़ा होता है।
कहानी कैसी लगी। जरूर बताइये…