मैं ख़ुशी २२ साल की हु और मेरी छोटी बहन २१ साल की है जिसका नाम है प्रिया, मेरी दीदी कविता जो की २४ साल की है उनकी शादी पिछले साल ही हुई है, जीजा जी बड़े भी कमीने है, क्यों की शादी के बाद से ही वो हम दोनों बहनो की अमोली (छोटी छोटी चूच) को दबा देते थे पहले तो हम दोनों को गुस्सा आता था पर धीरे धीरे हम दोनों बहनो को अच्छा लगने लगा, पर मेरी कविता दीदी को ये सब अच्छा नहीं लगता था, कविता दीदी भी सही थी क्यों की किसी का पति अगर कही मुह मारे तो गुस्सा आएगा ही. पर हम दोनों बहनो को मजा आने लगा था.
जीजू बड़े ही हॉट है, जब वो मेरी चूतड़ पे चुट्टी काटते थे तो दर्द तो होता था पर उस दर्द का एहसास अलग ही होता था, लगता था कभी वो मेरी पेंटी में भी हाथ डालते, पर माँ का स्ट्रिक्ट पहरा होता था शायद मेरी माँ को पता था की दूल्हा हरामी है, कही मेरी बेटी पर हाथ ना साफ़ कर दे, इस वजह से उनका हाथ मेरी ब्रा के अंदर तक तो आराम से जाता था जब जब मौक़ा मिलता था,
मैं अब आपको बताती हु, की कब ऐसा मौक़ा आया था की हम दोनों बहन चुद गए थे जीजा जी से, एक दिन की बात है, जीजा जी कोलकाता आये थे किसी काम से, दीदी और जीजा जी दिल्ली में रहते है, तो दुर्गापुर आ गए हम दोनों से मिलने के लिए, शाम को ७ बजे पहुंचे थे, usi दिन मम्मी और पापा दोनों भिलाई के लिए निकल गए थे क्यों की वह मेरे लिए लड़का देखने जाना था शादी के लिए, और वो एक दिन बाद आते, जीजा जी को जैसे ही पता चला की मम्मी आज ही गई है, तो वो बहुत ही खुश हो गए, ख़ुशी तो हमदोनो को भी हुई क्यों की हम दोनों भी कही से भी काम नहीं थे हम दोनों की जवानी लपलपा रही थी. आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है.
रात को ८ बजे का शो देखने गए पास ही में सिनेमा हाल था, बीच में जीजू थे अगल बगल हम दोनों बहने चूचियाँ तो वही से दबानी शुरू हो गई थी, वो ढाई घंटे में तो दोनों के चूत से गरम गरम पानी निकलने लगा था, मन तो कर रहा था जीजू के पेंट का ज़िप खोल कर वही लंड को मुह में ले लू, या तो उनके गोद में बैठ के पूरा का पूरा लंड अपने चूत में डाल लू, पर कोई बात नहीं हमलोग ग्यारह बजे तक घर आ गए खाना तो बाहर ही खा लिए थे, अब हमलोग को सोना था, तो सोये कहा कहा रजाई एक ही बाहर थी, बाकि ट्रंक में था, माँ चाभी ले के चली गई थी, ठण्ड की रात थी, तो हमलोग एक ही रजाई में सो गए, बीच में जीजू और साइड में हम दोनों,
जीजू पहले मेरी छोटी बहन के तरफ घूम कर सो गए थोड़ी देर बाद प्रिया के मुह से आअह आआअह आआअह आअअअह्अअअअह् की आवाज निकलने लगी, मैंने तुरंत ही रजाई हटा दी देखि की प्रिया टॉप लेस्स थी उसकी बड़ी बड़ी दोनों चूचियाँ खुली हुई थी और जीजू निप्पल को मसल रहे रहे, थे, उसके बाद मैं जीजू को बोली ये गलत है जीजू, मैं बड़ी हु, पहले मुझे ऐसा करो, तो प्रिया बोली दीदी देखो मुझे जोश आ गया है मजा मत किरकिरा करो, तो जीजू ने कहा देखो रात अपनी है, और कोई घर में है नहीं क्यों ना खूब मजे करे, और दोनों को एक साथ चुदाई करें.
ठण्ड ज्यादा थी, फिर से रजाई के अंदर चले गए और फिर मैंने अपना पूरा कपड़ा उतार दिया, प्रिया भी सारे कपडे उतार दी, फिर क्या था जीजू के कपडे हम दोनों मिलकर एक एक कर उतार दिए, हम तीनो अब एक ही रजाई में नंगे थे, और हम तीनो एक दूसरे को किश कर रहे था, जीजू मेरी चूचियाँ दबाते और कभी पीते कभी पीरा का निप्पल दबाते कभी पीते, उसके बाद तो वो प्रिया के ऊपर चढ़ गए और प्रिया के दोनों पैर को अलग अलग कर के, लंड चूत के बीच में रख के, कस के धक्का मारा, तब भी चूत के अंदर लंड नहीं गया, पर प्रिया की जान निकलने लगी काफी दर्द होने लगा वो रोने लगी, फिर मैंने प्रिया को सहलाया और प्रिया के चूची को भी सहलाया और जीजू ने फिर से तरय किया और लंड पूरा चूत के अंदर डाल दिया, अब जीजू जोर जोर से प्रिया को चोदने लगे.
मैंने अपना चूत जीजा से चटवाने लगी, वो प्रिया को चोद रहे थे और मेरी चूत को चाट रहे था और मैं प्रिया के बूब को दबा रही थी, उसके बाद मैं लेट गई और जीजू मेरे ऊपर चढ़ गए, वो मेरी चूत में ऊँगली डालने लगे और एक हाथ से चूची को मसलने लगे, मैं आह आह कर रही थी, प्रिया जीजू के गांड में अपनी चूची सटा रही थी, फिर जीजू अपना लंड मेरे चूत में डाल दिया, और चोदने लगे, क्या बताऊँ यारों कभी वो मुझे चोदते कभी प्रिया को चोदते, रात भर यही चुदाई का खेल चलता रहा.
रात भर एक रजाई के अंदर हम दोनों बहनो की चूत को फाड़ दिया था जीजू ने, उसके बाद सुबह से उनको निकलना था, वो एक बार फिर हम दोनों बहनो को चोदा और फिर चले गए.