मेरी देवरानी और मेरा पति

Devrani Hindi Sex Story in Hindi – गाँव का वो पुराना घर था, जहाँ मैं, राधा, अपने पति संजय और अपनी देवरानी पूनम के साथ रहती थी। मैं 30 साल की थी, गोरी, भरे हुए जिस्म वाली औरत। मेरी चूचियाँ बड़ी और गोल थीं, जैसे दो पके आम, जो मेरी साड़ी में हमेशा उभरे रहते थे। मेरे निप्पल साड़ी के नीचे से हल्के-हल्के दिखते थे। मेरी कमर पतली थी, और मेरी गाँड मोटी और नरम थी, जो चलते वक्त लचकती थी। मेरी जाँघें मोटी और चिकनी थीं, और मेरी चूत हमेशा संजय के लंड की भूखी रहती थी। संजय, मेरा पति, 32 साल का जवान मर्द था। उसका 8 इंच का मोटा लंड मुझे रात भर चोदता था, और उसकी चुदाई से मेरी चूत हर बार पानी छोड़ देती थी।

पूनम, मेरी देवरानी, संजय के छोटे भाई की बीवी थी। वो 25 साल की थी, साँवली, मस्त और रसीली। उसकी चूचियाँ मुझसे थोड़ी छोटी लेकिन सख्त थीं, जैसे दो नारियल, जो उसकी कुर्ती में टाइट रहती थीं। उसकी गाँड गोल और उठी हुई थी, और उसकी जाँघें पतली लेकिन चिकनी थीं। उसकी चूत की गर्मी उसके चेहरे से झलकती थी। उसका पति, मेरा देवर, शहर में नौकरी करता था और महीने में एक बार ही आता था। पूनम की चूत शायद भूखी थी, और ये बात मुझे उसकी नज़रों से पता चल रही थी।

एक दिन की बात है। गर्मी की दोपहर थी, और संजय खेत से लौटा था। वो पसीने से तर था, और उसकी बनियान उसके चौड़े सीने से चिपक गई थी। उसका लंड पजामे में उभर रहा था, और उसे देखकर मेरी चूत गीली हो गई। मैं रसोई में थी, और पूनम आँगन में कपड़े सुखा रही थी। संजय अंदर आया और बोला, “राधा, पानी दे ना।” मैंने उसे पानी दिया, और उसकी नज़र मेरी चूचियों पर ठहर गई। “क्या देख रहे हो?” मैंने शरमाते हुए कहा। “तेरी चूचियाँ आज बहुत मस्त लग रही हैं,” उसने कहा और मेरी कमर पकड़कर मुझे अपनी ओर खींच लिया। उसने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे किया और मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ में से बाहर झाँकने लगीं।

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“यहाँ नहीं, पूनम बाहर है,” मैंने धीरे से कहा, लेकिन मेरी चूत में आग लग रही थी। संजय ने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोले और मेरी चूचियाँ नंगी कर दीं। मेरी चूचियाँ गोरी और भारी थीं, और मेरे निप्पल सख्त हो गए थे। “साली, तेरी चूचियाँ चूसूँगा,” उसने कहा और एक चूची को मुँह में ले लिया। वो मेरे निप्पल को चूसने लगा, और दूसरी चूची को जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… संजय… धीरे…” मैं सिसक रही थी। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर फिसल रही थी, और मेरी चूत गीली हो गई।

तभी पूनम अंदर आ गई। वो हमें देखकर ठिठक गई। “भाभी… ये…” वो हड़बड़ा गई। संजय रुक गया, लेकिन उसका लंड पजामे में सख्त था। “पूनम, तू यहाँ क्या कर रही है?” मैंने कहा, अपनी साड़ी ठीक करते हुए। “मैं… पानी लेने आई थी,” उसने कहा, लेकिन उसकी नज़र संजय के लंड पर थी। “देख क्या रही है?” संजय ने हँसते हुए कहा। “क… कुछ नहीं, भैया,” पूनम शरमा गई, लेकिन उसकी आँखों में चमक थी।

उस रात कुछ अलग हुआ। मैं और संजय अपने कमरे में थे। संजय ने मुझे नंगी कर दिया था। मेरी साड़ी फर्श पर पड़ी थी, और मेरी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं। उसने मेरा पेटीकोट खोला, और मेरी चूत नंगी हो गई। मेरी चूत की झाँटें पसीने से चिपक गई थीं, और मेरी फाँकें गीली थीं। “राधा, तेरी चूत आज फाड़ूँगा,” उसने कहा और अपना पजामा उतार दिया। उसका 8 इंच का लंड सख्त और मोटा था, और उसकी टोपी गीली होकर चमक रही थी। उसने मुझे चारपाई पर लिटाया और मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं। मेरी जाँघें मोटी और गोरी थीं, और मेरी गाँड चारपाई पर फैल गई थी।

उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। “संजय, डाल दो… मेरी चूत तड़प रही है,” मैंने कहा। उसने एक धक्का मारा, और उसका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह… संजय…” मैं चीख पड़ी। उसने मेरी चूचियाँ दबाते हुए चुदाई शुरू कर दी। “राधा, तेरी चूत कितनी गर्म है… लंड को मज़ा आ रहा है,” वो बोला। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। हर धक्के के साथ मेरी गाँड उछल रही थी, और मेरी चूचियाँ हवा में हिल रही थीं। “संजय, और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो,” मैं चिल्ला रही थी।

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तभी दरवाज़े पर एक हल्की सी खटखट हुई। मैंने संजय को रोका, लेकिन वो रुका नहीं। “कोई होगा, छोड़ो,” उसने कहा और मुझे चोदता रहा। दरवाज़ा हल्का सा खुला, और पूनम अंदर झाँक रही थी। वो हमें देख रही थी, और उसकी साँसें तेज़ थीं। “पूनम!” मैंने कहा, लेकिन संजय ने मुझे चुप कराया। “देखने दे साली को,” उसने कहा और मेरी चूत में और जोर से धक्के मारने लगा। पूनम की आँखें संजय के लंड पर थीं, और उसने अपनी कुर्ती के ऊपर से अपनी चूचियाँ सहलाना शुरू कर दिया।

“संजय, ये गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी चूत उसकी चुदाई से पानी छोड़ रही थी। “राधा, चुप रह… आज दो चूत मारूँगा,” उसने कहा और पूनम को अंदर बुलाया। पूनम शरमाते हुए अंदर आई। “भैया… भाभी…” वो बोली, लेकिन संजय ने उसकी कुर्ती फाड़ दी। पूनम की चूचियाँ नंगी हो गईं। वो सख्त और मस्त थीं, और उसके निप्पल काले और सख्त थे। “पूनम, तेरी चूचियाँ भी मस्त हैं,” संजय ने कहा और उसकी चूचियाँ मसलने लगा।

मैं चौंक गई, लेकिन मेरी चूत में संजय का लंड अभी भी था। पूनम सिसक रही थी। संजय ने उसकी सलवार खोली, और उसकी चूत नंगी हो गई। उसकी चूत की झाँटें घनी थीं, और उसकी फाँकें गीली थीं। “पूनम, तेरी चूत भी भूखी है,” संजय ने कहा और उसकी चूत में उंगली डाल दी। “आह्ह… भैया…” पूनम चीख पड़ी। मैंने संजय को रोकना चाहा, लेकिन वो बोला, “राधा, आज दोनों की चूत चोदूँगा।”

संजय ने मुझे चोदा, फिर पूनम को लिटाया। उसने पूनम की टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। “आह्ह… भैया… फट गई…” पूनम चिल्लाई। संजय ने उसकी चूचियाँ दबाते हुए उसे चोदा। “पूनम, तेरी चूत टाइट है… मज़ा आ रहा है,” वो बोला। मैं देख रही थी, और मेरी चूत फिर से गीली हो गई। संजय ने पूनम की गाँड भी मारी। उसकी गाँड गोल और टाइट थी, और संजय का लंड उसे चीर रहा था। “भैया, मेरी गाँड फाड़ दो,” पूनम चिल्ला रही थी।

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रात भर संजय ने हमें दोनों को चोदा। मेरी चूत और पूनम की चूत, मेरी गाँड और उसकी गाँड। सुबह तक हमारी चूतें सूज गई थीं, और संजय का माल हम दोनों में बँट गया। “राधा, पूनम, अब तुम दोनों मेरी रंडियाँ हो,” उसने कहा। मैं और पूनम एक-दूसरे को देखकर शरमा गईं, लेकिन हमारी चूतें फिर से तड़प रही थीं।

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