एक बार मेरे मम्मी पापा और रेखा मेरे मामा के घर एक शादी मे 10 दीनो के लिए चले गये .कविता का एग्ज़ॅम का पेपर चल रहा था इसलिए मैं और कविता नही जा सके . उस दिन कविता कुच्छ ज़्यादा ही खुस नज़र आराही थी.उस रात हम दोनो खाना खाकर अपने कमरे मे सोने चले गये.रात मे लगभग 12 बजे कविता मेरे कमरे मे आई और मेरे बगल मे सो गयी और अपना हाथ मेरे लॅंड के उपर रख कर सहलाने लगी. मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा कविता दर्र गयी उसे लगा मैं जगा हुआ हूँ. कविता ने अपना हाथ झत्ट से हटा ली और सोने लगी. थोड़ी देर तक कविता ने कुच्छ नही किया तो मैं भी सो गया. रात मे 3:30 मे मेरी आँख खुली तो कविता मेरे बगल मे सो रही थी.मैं धीरे अपना हाथ उसके चुचि पर रख कर धीरे धीरे दबाने लगा. कविता सोई ही रही फिर मैनेआपनहत उसके ब्रा के अंदर दल कर उसके चुचि को दबाने लगा.तभी कविता की आअंख खुल गयी.और वो मेरे हाथ को झटकते हुए गुस्से से बोली राहुल ये क्या कर रहे हो तुम्हे सारम नही आती आने दोमम्मी को मैं सब बताती हूँ.और वो अपने कमरे मे जाने लगी तभी मैने उसके हाथ को पकड़ा और बोला पहले ये तो बताओ तुम मेरे कमरे मे क्या कर रही हो.वो बोली मुझे अपने कमरे मे दर्र लग रहा था इसलिए यहा सो गयी थी पर तुम तो . तुम ऐसे होगे मैने नही सोचा था आने दो मम्मी को सब बताती हूँ.
और वो जाने लगी. तभी मैने उसे अपनी ओर खिच कर उसे बेड पर पटक दिया और उसके चुचि को दबाते हुए बोला मेरी रानी गुस्सा क्यो हो रही हो जब मेरे लॅंड को सहला रही थी तब मम्मी की याद नही आई .और मम्मी की याद आराही हैं . तब जाकर कविता शांत और बोली राहुल तुम्हे सब पता हैं .मैने कहा हा मेरी जानेमन मुझे सब पता हैं.उसके बाद तो कविता मुझसे लिपट गयी और बोली राहुल ई लोवे उ तुम्हे नही पता मैं तुम्हे कितना चाहती हूँ.उसके बाद हम दोनो एक दूसरे के होतो को चूमने लगे फिर मैने कविता के सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े उतार दिए.अब कविता सिर्फ़ ब्रा और पनटी मे थी.मैं तो जब कविता को देखा तो बस देखता रह गया जिंदगी मे पहली बार किसी लड़की इस हालत मे देख रहा था. मेरा लॅंड तो बिल्कुल टन कर खड़ा हो गया. उसके बाद मैने कविता के चुचि को दबाने लगा कविता जब गरम होने लगी तब मैने अपना लॅंड निकाला और कविता के हाथ मे दे दिया कविता मेरे लॅंड के साथ खेलने लगी फिर मैने अपना लॅंड कविता के मूह मे डालने लगा तो कविता माना करने लगी बोली नही राहुल प्ल्ज़ . मैने कहा जानेमन आज तो हमारी सुहग्रात हैं और आज की रात यही ज़्ब तो होता हैं आज तो माना करोगी तो ये साहब नाराज़ हो जाएँगे. तब कविता मेरे लॅंड को अपने मूह मे लेकर चूसने लग गयी उस वक़्त मुझे बहोट मज़ा अरहा था.थोड़ी देर मे मेरा सारा रस मैने कविता के मूह मे निकल दिया.कविता ने मेरा सारा जुएसए को पी गयी उसके बाद मैने कविता के ब्रा और पनटी उतार दी और कविता के चूत मे अपना लॅंड डालने लगा तो कविता चिल्ला पड़ी और बोली राहुल प्लीज़ धीरे धीरे डालो दर्द होता पहली बार तुम्ही तो मेरे राजा बने हो.
मैं कविता को आराम आराम से छोड़ना सुरू कर दिया .हम दोनो उस रात मे दो बार किया और तक कर सो गये . सुबह जब मैं सो कर यूटा तो कविता बातरूम मे नहा रही थी मैं सीधे बातरूम मे गया और कविता को पीछे से पाकर लिया और उसके चुचि को दबाने लगा कविता मुझे ड़ख कर खुस हो गयी और मुझसे लिपट गयी हम दोनो साथ साथ नहाने लगे और फिर मैने कविता को चोद्ने लगा .उसके बाद कविता अपने कोल्लगा चली गयी. इस तरह हम दोनो एक हफ्ते तक पति पत्नी की तरह एक दूसरे के साथ मज़ा करते रहे हम कभी बातरूम मे कभी किचें मे तो कभी सोफे पर जब मान करता एक दूसरे के साथ चिपक जाते.जब मम्मी पापा आगाय तब हम दोनो च्चिप च्चिप कर अपना कम करलेटे. एक दिन मैने कविता से बोला कविता मैं एक बार रेखा को भी छोड़ना चाहता हूँ. कविता बोली राहुल तुम पागल तो नही हो गये हो रेखा अभी सिर्फ़ 15 साल की हैं थोड़ी और बड़ी होने दो फिर. मैने कहा कविता तुंभी ना रेखा अब बच्ची नही हैं और कब तक इंतजार कारवावगी सोचो ज़रा कितना मज़ा एगा ज्ब मैं तुम और रेखा एक साथ होंगे. तब जाकर बोली अक्चा मेरे साजन जी बहोट जल्द मेरी ननद और तुम्हारी साली तुम्हारी बीबी बनकर तुम्हारे शूहाग के सेज पर होगी.फिर हम दोनो हसने लगेफिर मम्मी धीरे धीरे मेरे जाँघ को सहले लगी फिर वो मेरे पैंट के ज़िप को खोल दी. मैं हड़बड़ा गया और उः कर बैठ गया.फिर मम्मी ने कहा क्या हुआ.मेरे मूह से खुच्छ आवाज़ नही निकल पाया.फिर मम्मी मेरे पैंट के अंदर हः डालते हुए बोली क्या सारा हुक़ सिर्फ़ कविता का ही हैं मेरा तुम पर कोई अधिकार नही आख़िर मैं भी तो तुम्हारी मा हूँ और एक औरत भी.तुम्हे तो पता ही हैं की तुम्हारे पापा कई कई दिन तक घर से बेर होते हैं.मेरी भी तो कुहह चाहत हैं.और मम्मी मेरे लॅंड को पाईं से बाहर निकल दी.और बोली प्ल्ज़ राहुल मेरी भी प्यास भुझा दो. और मम्मी मेरे लॅंड को अपने मूह मे लेकर चूसने लगी.
और मेरा लॅंड बिल्कुल टंकार खड़ा हो गया.उसके बाद मैने मम्मी को अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसके होंठो को चूसने लगा फिर मैं उसके सारी और ब्लाउस को उतार दिया और उसके चुचि को दबाने लगा उसके बाद मैने अपने और मम्मी कीसरे कपड़े उतार दिया और मम्मी के चूत मे अपने लॅंड डाला.और मम्मी को चोद्ने लगा. थोड़ी देर मे हम दोनो झाड़ गये.उसके बाद मैं तक गया और फिर हम दोनो एक दूसरे के सरीर से खेलने लगे फिर मम्मी ने मुझसे पुचछा की तुम कितनी लड़कीो के सह खेल चुके हो मैने बोला. मम्मी अब तक सिर्फ़ कविता के साथ और आपके साथ.मम्मी बोली राहुल ईस्वक़्त मैं तुम्हारी मों नही बल्कि तुम्हारी सुमन (मम्मी का नाम)हूँ.बस मुझे सुमन ही बोलो.और फिर मम्मी मेरे लॅंड को पाकर कर बोली ये तो सो रहा हैं अभी जागती हूँ और वो मेरे लॅंड को अपने मूह मे दल कर चूसने लगी और मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया उसके बाद मम्मी मेरे लॅंड को चूसने लगी और मैं मम्मी के मूह को ही चोद्ने लगा थोड़ी देर बाद मैने अपना रस मम्मी के मूह मे ही छोड़ दिया मम्मी ने मेरा सारा रस पी गयी.फिर मैं मम्मी से कहा की मम्मी उस रात कविता प्यासी ही रह गयी थी. मम्मी ने कहा कोई बात नही आज उसे भी खुस कर देना. उसके बाद मम्मी बातरूम मे फ्रेश होने के लिए चली गयी. और मैं भी फ्रेश हो कर सो गया .
रात मे रेखा अपने कमरे मे सोने चली गयी. और मम्मी किचें मे कुच्छ कम कर रही थी और कविता मम्मी का हाथ बता र्ही थी. कविता ने जींस और शर्ट पहन रखा था.मैं धीरे से कविता को पिच्चे से जाकर उसके चुचि को पकड़ लियौस वक़्त मम्मी के हम पिच्चे खड़े थे कविता बल्कुल चौक गयी और धीरे से बोली राहुल मम्मी हैं.तब तक मम्मी भी पिच्चे मूड चुकी थी और कविता के पास आक्र् उसके चुचि को दबाने कविता बिल्कुल चौक गाइयौर मम्मी ने धीरे से मुस्कुरा दिया.फिर मैने कविता को गोद मे उठा लिया और मम्मी बेड पर दल दिया फिर मम्मी भी उस कमरे मे आगाय और कविता के कपड़े उतरने लगी और मैं कविता को चूमने लगा उसके बाद हम तीनो नंगे हो गये हम तीनो एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे मैं कविता कीक चुचि को दबा रहा था और मम्मी कविता के दूसरे चुचि को दबा रही थी और कविता मेरे लॅंड को सहला र्ही थी उसके बाद मैने कविता केओ बेड पर लिटा दिया और उसको चोद्ने लगा उसको चोद्ने के बाद मैने अपना लॅंड कविता के मूह मे दल दिया कविता ने मेरे लॅंड को चूस कर फिर से खड़ा किया जब मेरा लंड कड़ा हो गया तो फिर मैने मम्मी को चोदा.उस रात हम तीनो ने खूब मज़े किए.उसके बाद कविता ने मम्मी को बताया की मैं राहुल रेखा के साथ भी खेलना चाहता हैं.मम्मी ने कहा कोई बात नही रेखा भी इसकी बहो मे होगी.मैं भी चाहती हूँ की राहुल सब को खुस करे फिर मैने कहा सुमन (मम्मी) अब बताओ की रेखा को कब मेरे बिस्तर पर लाओगी.मम्मी ने कहा बहुत जल्दी मेरे राजा.अगले दिन कविता एक ब्लू फिल्म की सीडी ले आई और द्वड पर देख रही थी .उस वक़्त मैं अपने कमरे मे सो रहा था और मम्मी मार्केट गयी हुई थी.तभी रेखा कविता के पास और बैठ गयी लेकिन जब वो टीवी पर फिल्म देखी तो उठ कर जाने लगी ती कविता ने रेखा का हः पकड़ लिया और बोली रेखा कहा जा रही हो बैठो.रेखा सर्मा गयी और सिर नीचे कर के चुप छाप खड़ी हो गयी. फिर कविता ने रेखा का हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठैई.रेखा का सिर उस वक़्त भी नीचे झुका हुआ था.कविता बोली रेखा क्या हुआ फिल्म अच्छी नही हैं क्या.रेखा बोली दीदी आप ऐसी फिल्म देखती हो मुझे तो सारम आराही हैं.कविता बोली इसमे सर्माने की क्या बात हैं.ज़रा देख तो सही दुनिया मे क्या क्या होता हैं.और मैं तुम्हारी दीदी ही नही तुम्हारी दोस्त भी हूँ.फिर रेखा की नज़ारे टीवी की तरफ गयी.
फिर भिऱेख सर्मा रही थी.फिर कविता बोली रेखा मैने क्या कहा की तुम ये मत सोचो की मैं तुम्हारी दीदी हूँ सिर्फ़ तुम्हारी दोस्त हूँ और कविता रेखा का हाथ अपने हाथ मे लेकर शालने लगी तब रेखा आराम से बैठ कर फिल्म देखने लगी.थोड़ी देर बाद कविता ने रेखा के साथ चिपक कर बैठ गयी और रेखा के चुचि को कपारे के बाहर से सहलाने लगी.थोड़ी देर मे ही रेखा की साँसे तेज तेज चलाने लगी.फिर कविता ने रेखा से धीरे से पुचछा की रेखा कैसा लग रहा हैं . रेखा बोली डिडिड अच्छा लग रहा हैं. फिर कविता उठी और दरवाजा बंद करदी और आकर रेखा को अपने बहो मे लेकर चूमने लगी.फिर कविता ने रेखा के शर्ट के बटन खोल दी और उसके ब्रा मे हाथ डालकर उसके चुचि को दबाने लगी रेखा बुरी तरह मचलने लगीयौर बोली दीदी प्ल्ज़ धीरे से दब्ाओ फिर कविता ने रेखा के चुचि को ब्रा से बाहर निकाला और उसके चुचि को चूसने लगी अब रेखाबिल्कुल बैचन हो गयी थी दोनो एक दूसरे के साथ बुरी तरह से चिपक गयी और एक दूसरे को चूमने लगी.थोड़ी देर बाद वो दोनो अलग हो गयी.फिर कविता ने रेखा से पुचछा की कैसा लगा रेखा बोली दीदी मज़ा आगेया.
फिर वो दोनो टीवी बंद कर के बाहर निकल आई. बाद मे कविता ने ये बात मेरे से बताई.एक दो दीनो के बाद कविता ने फिर ने रेखा के साथ वही खेल खेला और उस दिन रेखा से कविता बोली रेखा तुम ने आज तक किसी लड़कए के साथ कभी सेक्स की हो .रेखा बोली दीदी आज तक मैने आपके सिवा किसी और के साथ कभी नही.फिर रेखा ने बोला दीदी आपने कभी किया हैं क्या कविता बोली हैं .रेखा बोली किसके साथ कविता बोली हैं कोई.रेखा बोली दीदी तब तो आपको बहोट मज़ा आया होगा.कविता बॉलिबाह्ोट मज़ा आया.कविता बोली रेखा तू भी मिलेगी उससे. रेखा बोली हा दीदी.कविता ने रेखा से बोला ठीक हैं तो आज रात को मैं तुझे उससे मिलवा देती हूँ.रेखा बहोट खुस हुई. रात मैं 11 बजे जब मम्मी सो गयी तब कविता रेखा को मेरे कमरे मे लेकर आई और मेरे पास आकर कविता मुझसे लिपट गयी और बोली रेखा ये रहे तेरे जीजू.रेखा चौक गयी और कुच्छ नही बोल पाई. फिर मैं रेखा के पास जाकर उसके चुचि पर हः रखा ही था की रेखा पिच्चे की ओर हट गयी और बोली भैया प्ल्ज़ मैं आपके सतह कभी नही.और दीदी आप भी भैया के साथ मैं सोच भी नही सकती थी.और रेखा वापिस जाने लगी.तभी कविता ने मुझे इसरा किया और मैं रेखा को झट से पाकर कर अपनी ओर खिच लिया और कविता ने जल्दी से दरवाजा बंद कर दी.फिर मैने रेखा को बिस्तर पर पटक दिया और बोला रेखा ईस्वक़्त मैं तुम्हारा भैया थोड़ी ना हूँ और मैं अपने पैंट के बेल्ट को खोलने लगा ये देख कर रेखा रोने लगीयौर मुझसे मिंन्नाटे करने लगी की मैं उसे छ्चोड़ दूं.मैं और कविता उसे हर त्रह से समझा चुके पर वो मानी नही हर वक़्त वो बस यही बोलती रही की मैं भाई बहन के रिस्ते को नही तोड़ सकती.फिर कविता ने कह की राहुल जाने दो.पर मैं कैसे छ्चोड़ सकता था रेखा जो ईस्वक़्त मेरे सामने थी 15 साल की कच्ची काली जो बिल्कुल ही रेखा की तरह स्वीट .मैने सोचा की रेखा मम्मी को बोल कर भी मेरा कुच्छ नही बिगड़ सकी क्यो ना मैं जबारजस्ति ही अपनी ख्वाहिस पूरी कर लू. फिर मैने रेखा को जाने के लिए बोला रेखा बेड से उठ कर दरवाजे की तारा बरही तभी मैने रेखा को पिच्चे से पकड़ लिया और उसके शर्ट को खिच कर खोल दिया और उसे बेड पर पटक दिया रेखा रोने लगी और बोली भैया प्ल्ज़ और कविता चुप छाप एक तरफ खड़ी थी मैं आहिस्ते से बेड पर बैठ गया उर रेखा का पैर पकड़ कर अपनी ओर खिच लिया और उसका स्कर्ट भी खोल दिया . अब रेखा इरफ़ ब्रा और पैंटी मे थी उसका चिकना ब्दान देख कर मेरा लॅंड बिल्कुल टन गाओर मेरे मूह मे पानी आगेया की आज मीं एक ऐसी लड़की को चोद्ने जरहा हूँ जो बिल्कुल पारी की तरह हैं और मेरी बहोट दीनो को ख्वाहिस थी रेखा को चोद्ने की. रेखा अपने दोनो हाथो से अपने बदन को ढकने की कोसिस कर रही थी फिर मैने रेखा को एक बार फिर से समझाया की देख रेखा मैं उजहे आज छ्चोड़ने वाला तो हूँ नही इसलिए ये जिद्ड़ छोड़ कर हमारे साथ मज़े कर बहोट मज़ा आएगा तुझे कविता ने तो बताया ही.फिर कविता बोली रेखा दिक्कत क्या हैं तुम्हे बस यू समझ ले की ये तुम्हार भाई नही एक लड़का हैं और तू एक लड़की और अग्र तू ये सोचती हैं की तेरे च्चिलाने से कोई आजाएगा तो तू जानती ही हैं की कमरे से आवाज़ बाहर नही जा सकती.और मैं तुझे बचाने वाली हूँ नही.और तू नही मानी तो राहुल तो जबारजस्ति करेगा फिर दर्द तुझे ही होगा इसलिए कह रही हूँ बस एक बार राहुल के साथ मज़े लेले फिर तुझे राहुल कभी भी परेसन नही करेगा और अगर तू नही मानी तो राहुल एर साथ रोज ज़बरजास्ति करेग इसलिए कहती हूँ बस एक बार राहुल को मज़ा लेने दो फिर हम तुम्हे छ्चोड़देंगे.रेखा फिर कुच्छ नही बोली .
फिर मैने रेखा के करीब जाकर उसके चुचि को पाकर लिया और रेखा चुप छाप बैठी रही उसके बाद मैं और कविता रेखा के चुचि को सहलाने लगे फिर मैने रेखा के सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी और कविता ने भी अपने कपड़े उतार दी.उसके बाद मैं रेखा के चुचि को चूसने लगा और कविता मेरे लॅंड को मूह मे लेकर चूसने लगी थोरी देर मे रेखा भी गरम हो गयी उसकी नींबू जैसी चुचि बिल्कुल टन गयी और रेखा के मूह से सिसकारी निकालने लगी फिर रेखा बोली भैया ल्ज़ अब बर्दस्त नही होता प्ल्ज़ कुच्छ कारोना मैने कहा क्यो आब क्या हुआ तब तो भाई बहन की बाते कर रही थी रेखा बोली प्ल्ज़ भीया अब माना मत करो प्ल्ज़ जल्दी से कुच्छ करो.फिर मैने रेखा को बेड पर लिटा दिया और उसके बाद अपने लन्ड़ को उसके चूत मे डालने लगा उसका चूत बहोट ही टाइट था फिर कविता ने रेखा के चूत पर आयिल डालकर उसे शालने लगी फिर मैने अपना लॅंड रेखा के चूत मे डालने लगा तभी रेखा चिल्ला पाई और बोली भैया प्ल्ज़ इसे बेर निकालो बहोट दर्द हो रहा है.कविता ने रेखा के चुचि को दबाने लगी और बोली पहली पहली बार ऐसा ही दर्द होता हैं फिर सब ठीक हो जाएगा फिर मैने
रेखा को आराम आराम से चोद्ने लगा थोड़ी देर मे रेखा ने मुझे ज़ोर से पाकर ली मुझे लगा अब उसका चूतने वाला हैं और मैं ज़ोर ज़ोर से करने उसके बाद रेखा मुझसे बुरी तरह से लिपट गयी और ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगी और उसके बड़जोर की एक सिसकारी ली और संत हो गयी तभी मेरा भी चूत गया उर मैं भी अपने लॅंड को बाहर निकल कर हफने लगा. फिर हम तीनो थोड़ी देर तक शांत रहे फिर कविता मेरे लॅंड को सहलाने लगी फिर मैने रेखा के चुचि को सहलाने लगा और उसके बाद मैने अपना लॅंड रेखा के मूह मे दल डीयओर रेखा मेरे लॅंड को चूसामने लगी और थोड़ी देर मे ही मेरा लॅंड फिर से टंकार खड़ा हो गया फिर मैने कविता को चोद्ने लगा इस तरह मैने कविता की मदद से रेखा को चोदा.दिन सतेरदे था सुभह ये बात कविता ने मम्मी की बताई की रात मे मैने किस तरह से रेखा को चोदा.अब अगली बार मैं आप लोगो को बतौँगा की फिर मैने मम्मी के सामने कैसे रेखा को चोदा .
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