मम्मी की सहेली को गर्मी की दोपहरी में जमकर चोदा

लखनऊ की वो दोपहरी थी, जब सूरज आग उगल रहा था। गर्मी ऐसी कि बदन पसीने से तर, और हवा में एक भट्टी सी जलन। मैं, विक्रम, अपने घर में अकेला था। 24 साल का, जवान, तगड़ा, चौड़ा सीना, और आँखों में वो वासना की चमक जो किसी हसीना को बेकरार कर दे। मम्मी किसी रिश्तेदार के यहाँ गई थीं, पापा ऑफिस में। घर में सन्नाटा था, सिर्फ़ कूलर की भनभनाहट और मेरे लंड में सुलगती एक अजीब सी आग। मैं शॉर्ट्स और बनियान में सोफे पर लेटा था, जब दरवाजे की घंटी बजी।

मैंने दरवाजा खोला तो सामने थीं रीना आंटी—मम्मी की सहेली। 38 की उम्र, लेकिन बदन ऐसा कि कोई भी मर्द उनके सामने पागल हो जाए। उनका सलवार-कमीज पसीने से तर था, उनके मम्मे ब्लाउज में कैद, भारी, उभरे हुए, हर सांस के साथ हिलते हुए। उनकी गांड सलवार में गोल, रसीली, हर कदम पर लचक रही थी। उनकी हिप का उभार मेरे लंड को तड़पा रहा था। उनके होठ गुलाबी, गीले, जैसे चूसने के लिए बने हों। उनकी बुर सलवार के नीचे छुपी थी, लेकिन उसकी गर्मी मुझे दूर से महसूस हो रही थी। “विक्रम, तेरी मम्मी घर पर है?” उन्होंने पूछा, उनकी आवाज़ मिठास लिए, लेकिन आँखों में शरारत।

“नहीं, आंटी, मम्मी बाहर गई हैं,” मैंने कहा, मेरी नज़रें उनकी चूचियों पर टिकीं, जो ब्लाउज से बाहर झाँक रही थीं। “लेकिन आप अंदर आ जाइए, इतनी गर्मी में बाहर क्या करेंगी?” मैंने दरवाजा खोला, और वो अंदर आईं, उनकी चूतड़ मेरे सामने हिलती हुई। वो ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठीं, उनका दुपट्टा थोड़ा सरक गया, और उनकी चूचियां और उभर आईं। कूलर की हवा ने उनके कपड़ों को और चिपका दिया, उनकी बुर का आकार सलवार में हल्का-हल्का दिख रहा था। “हाय, कितनी गर्मी है,” उन्होंने कहा, अपने होठों पर जीभ फेरते हुए। “पानी लाऊँ?” मैंने पूछा, लेकिन मेरा लंड कुछ और ही चाह रहा था।

“हाँ, और ठंडा हो तो अच्छा,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा। मैं किचन में गया, ठंडा पानी लाया, लेकिन जब वापस आया, रीना ने अपना दुपट्टा उतार फेंका था। उनकी चूचियां अब और साफ़ दिख रही थीं, ब्लाउज में कैद, लेकिन बाहर निकलने को बेताब। मैंने गिलास उनके सामने रखा, और वो मेरी ओर झुकीं, उनकी हिप सोफे पर उभरी। “तू कितना बड़ा हो गया है, विक्रम,” उन्होंने कहा, उनकी नज़रें मेरे लंड पर टिकीं, जो शॉर्ट्स में तन रहा था। “आंटी, आप भी तो चटक माल लग रही हैं,” मैंने जवाब दिया, मेरी आवाज़ में वासना झलक रही थी। “तेरी चूचियां, तेरी गांड—हाय, कोई भी मर्द पागल हो जाए।”

गरमा गर्म सेक्स कहानी  भैया क्या मैं आपके साथ सो जाऊं मुझे डर लग रहा है

वो हंसी, उनकी हंसी मेरे लंड को और उकसा रही थी। “बोल्ड है तू,” उन्होंने कहा, और उनका हाथ मेरी जाँघ पर सरक गया। मेरे लंड में बिजली दौड़ गई। “आप जैसी हसीना के सामने बोल्ड न बनूँ तो क्या करूँ?” मैंने कहा, और करीब सरक गया। उनकी साँसें तेज थीं, उनके होठ मेरे करीब। और फिर, बिना कुछ कहे, हमारा चुंबन शुरू हो गया। उनके होठ मेरे होठों से लिपटे, उनकी जीभ मेरी जीभ से खेल रही थी, जैसे वो मेरे लंड को चूस रही हों। मैंने उन्हें अपनी बाहों में कस लिया, उनकी चूचियां मेरे सीने से दब रही थीं, और मेरा लंड उनकी बुर की गर्मी को महसूस कर रहा था।

“हाय, विक्रम,” उन्होंने कराहा, मेरा हाथ उनकी गांड पर सरक गया। वो इतनी रसीली थी, इतनी भरी, कि मेरा लंड और कड़क हो गया। मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खींचा, और वो नीचे सरक गई। उनकी बुर नंगी थी, गीली, चमक रही थी। “तेरी चूतड़ तो आग हैं,” मैंने कहा, और मेरी उंगलियाँ उनकी हिप पर नाचने लगीं। उन्होंने मेरी बनियान फाड़ दी, मेरे सीने पर नाखून गड़ाए, और उनका हाथ मेरे लंड पर गया। “ये लंड तो मुझे चोदने के लिए बना है,” उन्होंने फुसफुसाया, और उसे रगड़ना शुरू किया।

मैंने उन्हें सोफे पर लिटाया, उनकी चूचियां ब्लाउज से बाहर निकाल दीं। वो गोल थीं, भारी, और मैंने उन्हें चूसा, मेरी जीभ उनके निप्पलों पर नाचने लगी। वो सिसक रही थीं, उनकी बुर मेरे लंड के लिए तड़प रही थी। “चोद मुझे, विक्रम,” उन्होंने कहा, उनकी आवाज़ में वासना थी। मैंने अपनी शॉर्ट्स उतारी, मेरा लंड कड़ा था, गर्म, और मैंने उसे उनकी बुर के पास रगड़ा। “चुदाई कर, जल्दी,” उन्होंने चीखा, और मैंने धक्का मारा।

मेरा लंड उनकी बुर में घुस गया, गीला और तंग। मैंने धक्के मारने शुरू किए—धीमे, फिर तेज। उनकी गांड मेरे धक्कों से हिल रही थी, उनकी चूचियां उछल रही थीं। “हाय, चोद!” उन्होंने चीखा, और मैंने रफ्तार बढ़ाई। मेरी उंगलियाँ उनकी हिप पर थीं, उनकी चूतड़ को दबाते हुए। “तेरी बुर तो भोसड़ा बना देगी,” मैंने कराहा, और वो हंसी, उनकी वासना मेरे लंड को और भड़का रही थी। उनकी बुर ने मेरे लंड को जकड़ लिया, और वो झड़ गईं, उनकी चीख कमरे में गूंजी। मैं भी पीछे नहीं रहा। उनकी गांड, उनकी चूचियां—सब मेरे लिए बहुत था। मेरा लंड फट पड़ा, और हम हाँफते हुए लिपट गए।

गरमा गर्म सेक्स कहानी  नेहा हॉट और सेक्सी कुंवारी नौकरानी की चुदाई जबरदस्त तरीके से

लेकिन हमारी वासना अभी बुझी नहीं थी। रीना की साँसें तेज थीं, उनके होठ गीले, मेरे लंड की गर्मी को तरसते हुए। वो सोफे पर पलटीं, उनकी गांड मेरी ओर, हिप का उभार और रसीला। “विक्रम, अभी और है तुझमें?” उन्होंने फुसफुसाया, उनकी उंगलियाँ अपनी बुर पर नाच रही थीं, उसे रगड़ते हुए। मेरे लंड में फिर से जान आ गई, वो कड़क हो उठा, जैसे रीना की चूतड़ को फिर से चोदने के लिए बेताब हो।

“हाय, रीना, तू तो चटक माल है,” मैंने कराहा, और उन्हें अपनी गोद में खींच लिया। उनकी चूचियां मेरे सीने से दब रही थीं, उनके निप्पल मेरे सीने पर रगड़ रहे थे। मैंने उनके होठ फिर से चूसे, मेरी जीभ उनकी जीभ से लिपटी, जैसे मैं उनकी बुर को चाट रहा हूँ। “तेरी चुदाई ने मुझे पागल कर दिया,” उन्होंने सिसकते हुए कहा, और उनका हाथ मेरे लंड पर गया। वो उसे रगड़ने लगीं, धीरे-धीरे, फिर तेज, मेरे लंड को और बेकरार करते हुए।

मैंने उन्हें सोफे पर घुमाया, उनकी गांड ऊपर, हिप मेरे सामने। “ये चूतड़ तो मुझे मार डालेंगे,” मैंने कहा, और मेरी उंगलियाँ उनकी बुर पर सरकीं, उसे रगड़ते हुए। वो गीली थी, चटक, मेरे लंड के लिए तरस रही थी। “चोद ना, विक्रम, और जोर से,” उन्होंने चीखा, और मैंने फिर से धक्का मारा। मेरा लंड उनकी बुर में डूब गया, गहरा, गर्म, और मैंने धक्के मारने शुरू किए—तेज, बेकरार, जैसे ये आखिरी बार हो। उनकी गांड मेरे धक्कों से थरथरा रही थी, उनकी चूचियां हवा में उछल रही थीं।

“हाय, रीना, तेरी बुर तो स्वर्ग है,” मैंने कराहा, और मेरी उंगलियाँ उनकी हिप पर गड़ गईं। मैंने उनकी चूतड़ को थपथपाया, हल्का सा, और वो सिसक उठीं, उनकी बुर ने मेरे लंड को और जकड़ लिया। “चूस मेरी मम्मे, विक्रम,” उन्होंने मिन्नत की, और मैंने झुककर उनके चूचियों को मुँह में लिया, चटक-चटक चूसा, मेरी जीभ उनके निप्पलों पर नाच रही थी। उनकी सिसकियाँ कमरे में गूंज रही थीं, उनकी वासना मेरे लंड को और भड़का रही थी।

गरमा गर्म सेक्स कहानी  Suhagraat with Sister - एक रात की दुल्हन बनी मेरी बहन सेक्स स्टोरी भाई बहन

“और जोर से, चोद!” उन्होंने चीखा, और मैंने सारी ताकत झोंक दी। मेरे धक्के इतने तेज थे कि सोफा हिलने लगा, उनकी गांड मेरे सामने लचक रही थी, उनकी बुर मेरे लंड को निगल रही थी। “तेरी चूतड़, तेरी चूचियां—हाय, मैं मर जाऊँगा,” मैंने कराहा, और वो हंस पड़ीं, उनकी हंसी में वासना थी। “चोद, विक्रम, मुझे भोसड़ा बना दे,” उन्होंने कहा, और वो शब्द मेरे लंड में आग लगा गए।

उनकी बुर फिर से काँप उठी, उनकी चीख गर्मी की दोपहरी में गूंजी, और वो झड़ गईं, उनकी चूचियां मेरे हाथों में थरथराने लगीं। मैं भी अब रुक नहीं सका। उनकी गांड, उनकी बुर, उनके होठ—सब मेरे लिए बहुत था। मेरा लंड फट पड़ा, गर्मी की आग की तरह, और मैं उनके ऊपर ढह गया, हमारी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।

हम सोफे पर पड़े रहे, पसीने से तर, उनकी चूचियां मेरे सीने पर दब रही थीं। रीना ने मेरे होठ पर एक आखिरी चुंबन दिया, उनकी उंगलियाँ मेरे लंड पर हल्के से नाचीं। “ये दोपहरी भूलने वाली नहीं,” उन्होंने फुसफुसाया, उनकी आँखों में अभी भी वासना की चमक थी। मैंने उनकी बुर को हल्के से सहलाया, उनकी गांड पर एक आखिरी थपकी दी। “तेरी चूतड़, तेरी मम्मे—मैं फिर आऊँगा,” मैंने कहा, और वो हंसी, उनकी हिप मेरे सामने हिलती हुई। “देखते हैं, नटखट,” उन्होंने कहा, और वो मुस्कान—हाय, वो चटक मुस्कान—मेरे लंड में फिर से आग जगा गई। गर्मी की वो दोपहरी हमारी वासना की आग में जल उठी, और उस आग की गर्मी मेरे दिल में हमेशा रहेगी।