मैं गुलाब कुमारी आप सभी पाठकों का नोंन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर स्वागत करती हूँ. मैं चंदौली की रहने वाली हूँ. अभी फ़रवरी में २० साल की पूरी हुई हुई हूँ. अभी १ साल पहले ही मेरी शादी हुई है. पर दोस्तों मेरे साथ बड़ी नाइंसाफी हुई. जब सजे धजे कमरे में मैं पति के साथ सुहागरात मनाने गयी तो बहुत अजीब बात हुई. मैंने सारे कपड़े निकाल दिए. नंगी होकर मैं दोनों टांग खोलके लौट गयी. सबसे पहले तो पति का लंड खड़ा ही नही हो रहा था. बड़ा मान मनौती की मैंने. उनका लंड मुँह में लेकर चूसा भी. केवल ४ इंच का पतला सा सुखा सा लंड था पति का. ये देखकर मुझे बहुत निराशा लगी. मैं जब कॉलेज में पढ़ती थी तो सहेलियों साथ ब्लू फ़िल्में देखा करती थी.
दोस्तों मेरे दिल में कितने सपने थे की मेरे पति का लंड भी खूब मोटा होगा. खूब चुदुंगी पति से. चरम सुख प्राप्त करुँगी. क्या क्या मैंने सपने नही देखे थे. पर जब पति से शादी हुई तो मेरा मुँह ही उतर गया. बिलकुल बच्चे से पति थे. ५ फुट कद था. नाटे से थे. तभी मेरे दिल में ये था की पता नही ये आदमी मुझे चोद भी पाएगा की नही. और जब आज सुहागरात में पति का लंड देखा तो एक बार फिर से मेरा चेहरा उतर गया. पति के ४ इंच के लौड़े को देखकर घोर निराशा हाथ लगी. मेरे घर वालों से इस चम्पू से सिर्फ इसलिए शादी कर दी क्यूंकि ये इंजीनियर थे. ६० हाजर की सरकारी नौकरी थी. सिर्फ यही देखकर मेरे घरवालों ने इस चम्पू से मेरी शादी कर दी.
पर आज अपनी सुहागरात पर पति का ४ इंच का लौड़ा देखकर दोस्तों, मेरी आँख में आशू आ गये. खैर बेमन से मैं नंगी होकर बेड पर लेट गयी. कितनी ही फूल मालाये लगी थी कमरे में. बिजली की जलती भुजती कितनी ही झालरें मेरे इस सुहागरात वाले कमरे में सजी हुई थी. पति का लौड़ा खड़ा नही हो रहा था. बड़ी मन्नत करके मैं लौड़ा मुँह में लेकर घंटों चूसा. फिर लौड़ा खड़ा हो गया. मैं बहुत खुश हो गयी थी. पति ने फिर मेरी सील भी तोड़ दी. मैं सुखी थी. पर दोस्तों २ मिनट, हाँ हाँ सिर्फ २ मिनट में वो झड गये. मेरी आँखों में आंशू आ गये. ये मेरा और मेरी जवानी का घोर अपमान था. कितने सपने देखे थे की पति रात भर सोने नही देगा. मुझे रातभर चोदेगा. चरम सुख देगा. पर क्या से क्या हो गया. मेरा गांडू पति सिर्फ २ मिनट में आउट हो गया. और फिर खर्राटे ले लेकर सो गया. और जोर जोर से खर्राटे लेने लगा.
मेरी सुहागरात मेरी काली रात साबित हो गयी थी. रात भर मैं सो नही सकी थी. अगले दिन जब पति ऑफिस चले गये तो मैंने अपने नौकर जटाशंकर से बात की.
‘जटाशंकर!! तेरे साहब की मुझसे पहले कोई माल वाल नही थी??’ मैंने पूछा
मेमसाब! एक एक करके साहब की सभी माल ने इनको छोड़ दिया. सुबह इनके कमरे से उनकी माल निकलती थी तो गाली बकते हुए जाती थी की जब तू चोद ही नही पाटा है तो लाइन क्यूँ मारता है!’ जटाशंकर बोला. ये सुनकर दोस्तों मेरा फ्यूज ही उड़ गया. मेरे नौकर जटाशंकर ने मुझे ये भी बताया की कोई भी लडकी साहब [ मेरे पति] से शादी करने को तयार नही थी. क्यूंकि ये सहवास, सेक्स ही नही कर पाते थे. पर किसी तरह से मेरे घर वाले इनके जाल में फंस गये और मैं ब्याहकर इस घर में आ गयी. नौकर की ये बात सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन सरक गयी थी. फिर भी मैं किसी तरह जी रही थी. दूसरी रात में भी वही हुआ. पतिदेव ने मुस्किल से ४ ५ धक्के मेरी चूत में दिए और झड गए. मेरी माँ ने फोन किया और हालचाल पूछा. दोस्तों, दिल तो हुआ की साफ साफ माँ से कह दूँ की माँ खुद तो पापा से पूरी पूरी रात चुदवाती हो, मजे मारती हो, और मुझे इस छक्के के साथ बाँध दी हो. पर मैंने कुछ नही कहा. अब तो मुझे इसी आमदी के साथ जिन्दगी गुजारनी थी. इसलिए दोस्तों, मैं किसी भी प्रकार का बगावत का बिगुल नही बजाया. सब कुछ चुप चाप सहती रही. शादी का १ महीना गुजर गया. पति ने ३० दिन में ३० बार मुझे चोदा खाया पर एक बार भी ८ १० मिनट से जादा ठुकाई नही कर पाया मेरी चूत में. दोस्तों, एक बार भी मेरी हरी हरी चूत में १० मिनट से जादा बैटिंग नही कर पाया वो हिजरा. फिर हरामी घोड़े बेचकर सो जाता था. ऐसी कोई रात नही जाती थी जब मैं रोटी नही थी.
एक दिन नौकर जटाशंकर अपने कमरे में मुठ मार रहा था. मुझे बजार से कुछ सब्जियां मंगवानी थी. जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो जटाशंकर नंगा था मुठ मार रहा था. उसका लौड़ा बहुत मोटा, बहुत बड़ा था. जैसे ही मैंने उसका हस्ट पुष्ट लौड़ा देखा मेरे दिमाग में एक करेंट सा लग गया. ना मैंने आगा देखा ना पीछा. मैं अपनी साड़ी का पल्लू हटा दिया. दोस्तों, आज मैंने चटक नीली रंग की साड़ी पहन रखी थी. बैकलेस ब्लोउस पहन रखा था. इसके साथ ही ब्लौस का गला बहुत जादा गहरा था. मेरे गोरे गोरे मम्मे चटक नीले रंग के ब्लौस में दूर से चमक रहे थे. मैं आज इसी समय नौकर जटाशंकर से चुदना चाहती थी. उसका लौड़ा खाना चाहती थी. जब मेरे पति मुझे चोद ही नही पाया तो इसमें क्या गलत था. जब मेरा पति मुझे चोद चोदकर चरम सुख नही दे पाया तो मैं अपनी जगह सही थी. मैं अपने नौकर जटाशंकर के कमरे में चली गयी. मैंने दरवाजा भेड़ दिया. मैं बहुत ही गंभीर थी. जटाशंकर की आँखों में देख रही थी.
मेमसाब??? आआ..पप??’ वो हडबडा गया.
मैं कुछ नही कहा. सीधा नग्न जटाशंकर के पास चली गयी. वो नंगा था. खडा था. वो मुठ मार रहा था. मैं उसके सामने घुटने के बल बैठ गयी. मैंने उसके लौड़े को मुँह में भर लिया और हाथ से फेट फेटकर पीने लगी.
‘मेमसा……ब??? ये? ये क्या??” वो बेचारा हडबड़ा गया.
शश श्श्शस्श!! मैंने उससे चुप रहने को कहा. वो बेचारा चुप हो गया. मैं उसके ठीक सामने बैठकर उसका बड़ा भारी सा लौड़ा चूसने लग गयी. वो ना कुछ बोल पाया. ना कुछ कह पाया. जटाशंकर का लौड़ा बहुत बड़ा बहुत भारी थी. मैं आँखें बंदकर उसका लौड़ा चूस रही थी. मेरे पति के लौड़े से २ ३ गुना बड़ा लौड़ा था नौकर का. वो एक शानदार लौड़ा था. जटाशंकर का सुपाडा बहुत ही बड़ा और खूबसूरत था. उसके लौड़े की खाल सुपाडे ने नीचे उतर गयी थी और काफी पीछे चली गयी थी. देखकर ऐसा लगता था की जटाशंकर ने बहुत सी लड़कियां औरतें चोदी थी. ये मेरे दिल की पुकार थी. मैं मजबूर थी. अगर पति ही मुझे अच्छे से चोदकर संतुष्ट कर देता तो मैना ये सब ना करती. मैंने आधे घंटे तक नौकर का लौड़ा हाथ से गोल गोल घुमा घुमाकर चूसा. फिर अपने चटक नीले रंग के कसे ब्लाउस का एक एक हुक मैंने खोल दिया. मैं वही जटाशंकर के बिस्तर पर लेट गयी. मै इतनी जादा चुदासी थी की साड़ी भी नही निकाल सकी.
‘जटाशंकर!! चल चोद बेटा!! अपनी मेमसाब को चोद चोदकर खुस कर दे बेटा!!’ मैंने कहा. जटाशंकर मुझ पर चढ़ गया. मैंने ब्लाउस निकाल के फेक दिया. ब्रा खोल दी. मेरे बेहद ही खुबसुरत मम्मे उछलकर सामने आ गये. जटाशंकर ने मेरे दूध को मुँह में भर दिया और पीने लगा. ‘चोद बेटा!! अब देर मत कर’ १८ साल के जवान लडके जटाशंकर से मैंने कहा. उसने अपना लौड़ा मेरे भोसड़े में डाल दिया और चोदने लगा. मन में डर था की कहीं पति की तरह नौकर भी न २ मिनट में झड जाए. पर दोस्तों, ऐसा नही हुआ. जटाशंकर मजे से मुझे खाने लगा, चोदने लगा. मेरे दिमाग में बड़ी जोर की यौन उत्तेजना होनी लगी. मेरे जिस्म की रग रग में, एक एक नशे में खून फुल रफ्तार से दौड़ने लगा. मैं चुदने लगी. नौकर का मजबूर लौड़ा खाने लगी. मैं संभोहरत हो गयी. चुदवाने लगी. नौकर विराट कोहली की तरह मेरी चूत में बैटिंग करने लगा. मेरा चेहरा तमतमा गया. जटाशंकर का मस्त बड़ा सा लौड़ा खटर खटर करके मेरी चूत में दौड़ने लगा. मैं जोशा गयी. ‘चोद बेटा!! चोद अपनी मेमसाब को!! तुझे आज ५०० रुपए दूंगी!! चोद बेटा!! मैं उत्तेजना में चुदवाते चुदवाते हुए कहा. जटाशंकर बहुत जोर जोर से मुझे पेलने लगा. मेरा पूरा चेहरा तमतमा गया. मेरी कान,नाक, आंख, स्तन, भगोष्ठ व योनि की आंतरिक दीवारें फुल गयी. मेरा भंगाकुर का मुंड नीचे की तरह धस गया.
मेरी धड़कने बढ़ गयी. मेरी चूत अच्छे से चुदने लगी. चूत की दिवाले योनी पथ पर अपना तरल पदार्थ चोदने लगी. इस चिकने मक्खन से मेरी चूत और भी जादा चिकनी और फिसलन भरी हो गयी. जटाशंकर का लौड़ा मेरी चूत के छेद में खटर खटर करके फिसलने लगा. वो मुझे किसी रंडी की तरह चोदने लगा. मैंने दीवाल पर तंगी घड़ी देखी २० मिनट हो चुके थे. मैंने काफी मजा मार लिया था. अभी तक मेरा गांडू पति २ ३ बार झड गया होता. ‘शाबाश!! बेटा शाबाश!! चोद बेटा!दिल लगाकर चोद मुझे. अगर १ घंटे तूने मुझे पेला खाया तो आज तेरे ५०० पक्के है!! मैं वादा किया. जटाशंकर को पैसे की बड़ी जरूरत थी. ये बात मैं अच्छे से जानती थी. दोस्तों, वो लड़का मुझे दिल लगाकर चोदने लगा. धीरे धीरे वो मुझे अपना दीवाना बना रहा था. वो एक वफादार नौकर था, जो अपनी मालकिन की बात का अक्षरः पालन कर रहा था. मेरा पेटीकोट उठा हुआ था. नौकर जटाशंकर मेरी गर्म चूत में अपना खौलता और उफनता लौड़ा दे रहा था.
लौंडा किसी मशीन की तरह मेरी चूत में लौड़ा दे रहा था. ‘चोद बेटा!! चोद! सही जा रहा है ! चोद बेटा’ मैंने कहा और नौकर का उत्साहवर्धन किया. जटाशंकर मेरी रसीली बुर में गहरे धक्के देने लगा. दोस्तों, इस दौरान मैंने महसूस किया की जब तक चूत में अंदर गहराई में लौड़ा नही जाता है मजा नही आता है. वो मेरा गांडू पति जो ४ इंच का लंड लेकर घूमता है, वो बाहर बाहर से ही मुझको चोदता था. क्यूंकि मेरी बुर ८ ९ इंच गहरी थी. और पति का लंड सिर्फ ४ इंच लम्बा था. पर आज मेरे इस कमाल के नौकर ने मेरी ९ इंच गहरी चूत में अपना ९ १० इंच का लौड़ा पूरा का पूरा अंदर उतार दिया था. वो गचागच मुझको चोदे जा रहा था. सिर्फ उसने मेरी चड्ढी निकाली थी.
मैं चुदते चुदते जटाशंकर के मुख की भाव भंगिमाए देखने लगे. मुझे चोदने में उसे काफी मेहनत लग रही थी. जटाशंकर की बॉडी काफी टोंड थी. सलमान जैसे ६ ऐब पैक्स थे उसके. वो एक अलसी मर्द था जो मुझे अच्छे से चोद पा रहा था. मैं मुँह से गर्म गर्म सिसकी भर रही थी. नौकर जटाशंकर का लंड मेरी रसीली और चिकनी चूत में गहराई तक मार कर रही थी. मुझे पूरा आनंद मिल रहा था. उत्तेजना के कारण मेरे गर्भाशय ग्रीवा से कफ जैसा दूधिया गाढ़ा स्राव निकल रहा था. मैं काम और चोदन का आनंद उठा रही थी. आज अपने नौकर से चुदकर मैं कामवासना का नया पाठ पढ़ रही थी. जो पढ़ मेरा पति मुझे नही पढ़ा पाया था. मुझे पूरा विस्वास था की नौकर जटाशंकर मुझको रगड़ के किसी घरेलू रंडी की तरह चोदेगा और आज मुझे वो बहुप्रतीक्षित चरम सुख जिसके बारे में मैंने सपने देखे थे, मिल जाएगा.
दोस्तों, मैं हाथ से अपनी चटक नीली साड़ी को और उपर उठा लिया. मेरी पतली चिकनी कमर दिखने लगी. गोरी गोरी चिकनी जाँघों को देखकर जटाशंकर और भी जादा चुदासा हो गया और हौंक हौंक कर मुझे खाने लगा. कहना गलत नही होआ की वो अलसी मर्द था. अब चुदवाते चुदवाते काफी देर हो चुकी थी. मैंने दीवाल घडी पर निगाह डाली. १ घटा पूरा हो चूका था. दोस्तों, मेरे हिसाब से ये एक अच्छी बैटिंग थी जो मेरे वफादार नौकर ने अपने बड़े से लौड़े से मेरी चूत पर की थी. ये कमाल था. यौन उत्तेजना से योनि के भीतर व गुदाद्वार के पास की पेशियां खुल और सिकुड़ रही थी. ये रुक-रुक कर फैलती और सिकुड़ रही थी. यह इस बात का प्रमाण था कि संभोग में पूरी तरह से संतुष्ट हो गई थी. जटाशंकर के लौड़े से लग रहा था की मेरी चूत कितने ही गुब्बारे फुट रहे है. जैसी कितने पटाखे मेरे भोसड़े में दग रहे है. कितनी आतिशबाजी, कितने गोले, कितने रॉकेट मेरी चूत में दग रहे है.
अब मुझे लगने लगा की मुझे चरम सुख मिल रहा था. जिस सुख के बारे में मेरी सखियाँ मुझे बताती रहती थी, हाँ ये वही सुख था. कुछ देर बाद जटाशंकर मेरे चूत में धक्के मारते हुए झड गया. वास्तव में दोस्तों, उसने कमाल कर दिया. मेरी चूत की पिच पर मेरा नामर्द पति बैटिंग नही कर पाया तो अपने नौकर से मैंने चुदवाया और सेंचुरी बनवाई. दोस्तों, मैं ये पुरे यकीन से कहूँगी की मेरे नौकर ने मुझे चोद चोदकर मेरी चूत पर सेंचुरी लगा दी थी. जब जटाशंकर मुझे चोद के हटा तो पुरे १ घंटा १५ मिनट हो चुके थे. मैं उससे चुदवाकर अपने कमरे में लौट आई. फिर कुछ देर तक मैंने आराम किया. उसके बात मैं नहाने चली गयी. जैसे ही मैं नहाकर निकली पतिदेव आ गये. मैंने उनको गले से लगा लिया.
‘जानेमन क्या बात है, आज बड़े अच्छे मूड में हो??” पति बोले
हाँ जान!! आज पता नही क्यूँ तुम्हारी बड़े याद आ रही थी!’ मैं कुटिलता से हंसकर कहा और पति को गले लगा लिया. अब उनको क्या बताती की आज पति का धर्म नौकर ने निभा दिया. ये पति का धर्म होता है की बीबी को चोद चोदके चरम सुख प्रदान करे. पर ये काम तो आज नौकर जटाशंकर ने कर दिए. फिर पति नहाने चले गये. शाम को ५ बजे जब जटाशंकर मेरे लिए चाय बनाकर लाया तो मैं खुश थी. मैंने खुशी खुशी ५०० का नोट अपने पर्स से निकाला और उसे दे दिया. लड़का बहुत खुश था. ‘जटाशंकर!! अच्छा काम!! ऐसे ही मेरी सेवा करना! पैसे पाते रहोगे!’ मैंने कहा. ‘जी मेमसाब!!’ वो हंसकर बोला और चला गया. अब मेरा दिमाग फिर से नौकर का लंड खाने को बेताब हो गया था. अगले दिन पति सुबह १० बजे फिर से ऑफिस चले गए. मैंने जटाशंकर को कमरे में बुला लिया. ‘आ बेटा!! अपनी मेमसाब को चोद आके!!’ मैंने कहा. आज मैं उतनी जल्दबाजी में नही थी. मैं आराम से चुदवाना चाहती थी. दोस्तों, मैं बड़े आराम से, बड़े प्यार से, बड़े होले होले सब कपड़े निकाल दिए. जटाशंकर का लौड़ा पीने लगी. फिर उसने मेरे भोसड़े में लौड़ा दे दिया.
मुझे वो चोदने लगा. धीमे धीमे उसने चुदाई की रफ्तार बढाई तो मैं कल की तरह संतुष्ट और तृप्त होने लगा. वो गचा गच करके मुझे चोदने लगा. मेरी चूत में बहुत तीव्र हलचल होने लगी. मेरी आँखें बंद होने लगी, मेरी रसीली छातियाँ छोटी और सिकुड़ने लगी. मेरे कानों के अंदर झनझनाहट होने लगी. मेरे बहन में हल्कापन महसूस होने लगा. पुरे बदन में सुख की लहरें दौड़ने लगी. फिर जटाशंकर मेरी चूत में ही झड गया. मा कसम!! जो गांड चोद ठुकाई की उसने की मेरे पास कुछ कहने को नही था. पुरे ३ घंटें आज मेरे नौकर ने मुझे चोदा था. मैं उसकी दीवानी हो चुकी थी. मैं उसकी बड़ी भक्त हो चुकी थी. जटाशंकर मुझ पर गिर गया. मैंने उनके मत्थे को प्यार से चूम लिया. आज मैं चुद गयी थी और ओरगेस्म को पा चुकी थी. ये कहानी आप नॉनवेजस्टोरी डॉट कॉम परपढ़ रहे है.